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वचन खोरठा व्याकरण | JSSC CGL Khortha Notes

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वचन खोरठा व्याकरण

वचन खोरठा व्याकरण Khortha Notes BY Jharkhand Exam Prep
वचन खोरठा व्याकरण

वचन

  • शब्दों के संख्यावाचक रुप को वचन कहते हैं।

  • संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति वस्तु स्थान के एक या एक से अधिक होने का बोध हो उसे वचन कहते हैं।

उदाहरण

लड़का भागता है। / लड़के भागते हैं।

लड़का एक होने बोध करा रहा है, वहीं लड़के कई होने का बोध करा रहे हैं।

  • डॉ. वासुदेव नन्दन प्रसाद के आधुनिक हिन्दी व्याकरण में वचन की परिभाषा निम्नवत दी है।

    • संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।

  • खोरठा भाषा में हिन्दी, अंग्रेजी की तरह दो वचन होते हैं

1. एकवचन

2. बहुवचन

1. एक वचन-जिस शब्द के किसी वस्तु की एक संख्या का बोध होता हो उसे एक वचन कहा जाता है।

जैसे – छगरी, काड़ा, बरद, आदमी

2. बहुवचन– जिस शब्द से किसी चीज के एक से अधिक संख्या का बोध हो उसे बहुवचन कहा जाता है।

जैसे – छगरीअइन, पठरूवइन, कड़वइन आदि

खोरठा में बहुवचन बनाने के नियम

  • शब्दों के अंत में वचन बोधक प्रत्यय जोड़कर वचन बोधक शब्द बनाये जाते हैं।

  • इकारान्त और अकारान्त शब्दों के अंत में अइन प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है।

  • इकारान्त की अर्थ

  • जिसके अंत में इ अक्षर हो. उदाहरण – कवि,रवि आदि

  • आकारांत मतलब

    • वह शब्द जिसके अंत में ‘आ’ स्वर हो, जैसे- कहा, सुना, खाया आदि।

प्रत्यय

  • वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

अइन प्रत्यय

छगरी – छगरी+अइन – छगरीअइन

जनि – जनि + अइन – जनिअइन

भेडी – भेड़ी + अइन – भेडिअइन

लड़की – लड़की+अइन – लड़किअइन

अकारान्त शब्द

बरद + अइन – बरदइन

कलम+अइन – कलमइन/ कलमवइन

  • किन्तु खोरठा में अकारान्त शब्दों को भी शब्द के अंत में आकार या वा जोड़कर आकारान्त बना दिया जाता है।

  • जैसे

सोनार – सोनरा, सोनरवा

लोहार – लोहरा, लोहरवा

बरद – बरदा

खांची – खंचिआ

  • आकारान्त शब्दों में ‘वइन’ प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है।

जैसे

बेटा  – बेटवा – बेटवइन

बरद – बरदा – बरदवइन

खेत – खेता  – खेतइवन

  • उकारान्त शब्दों के अंत में ‘वइन’ प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है

जैसे

गरू + वइन – गरूवइन

पठरू + वइन – पठरूवइन

  • मनुष्यों के बहुवचन रूप बनाने के लिए बंगला के गुला/गुलि/गुलइन/गुलिन शब्दों का प्रयोग किया जाय।

    • जैसे- छउवागुला, गिदरगुला, मास्टर गुला, नेतागुला, मास्टरनी गुला आदि

  • इसके अलावे सरबनाम सबदे- “खिन / रिन / सब / इन” शब्द प्रत्यय लगाकर बहुवन बनाया जाता है।

जैसे-

हम – हामरिन- हामिन

तोय  – तोहरिन – तोहिन

ऊ – ओखिन / एखिन / सेखिन / जेखिन / तखिन

हमिन सब /तोहिन सब / ओखिन सब आदि।

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