
लिंग – खोरठा व्याकरण
लिंग परिभाषा: खोरठा में लिंग का अर्थ पुरूष और स्त्री से लगाया जाता है। इसमें जीव-जंतु के लिंग का विचार किया जाता है, जैसे पुरुष और स्त्री के रूप में विभाजित किया जाता है।
लिंग बनाने के नियम
नियम 1: ‘वाइन’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाना
पुलिंग (पु०) → स्त्रीलिंग (स्त्री०)
- साधु → सधुवाइन
- महतो → महतवाइन
- गुरु → गुरवाइन
- पटवा → पटवाइन
- बाबू → बबुवाइन
- नउवा → नउवाइन
नियम 2: ‘इन’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाना
पुलिंग (पु०) → स्त्रीलिंग (स्त्री०)
- तेली → तेलिन
- सुंडी → सुंडिन
- बाउरी → बाउरिन
- साँढ → साँढिन
- बाघ → बाघिन
- बढ़ी → बढ़िन
- कोइरी → कोइरिन
- सोनार → सोनारिन
नियम 3: ‘ई’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाना
पुलिंग (पु०) → स्त्रीलिंग (स्त्री०)
- बड़का → बड़की
- मुरगा → मुरगी
- बाभन → बाभनी
- काका → काकी
- कुकुर → कुकरी
- छोंडा → छोड़ी
- जेठा → जेठी
नियम 4: ‘आइन’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाना
पुलिंग (पु०) → स्त्रीलिंग (स्त्री०)
- सेठ → सेठाइन
- बनिया → बनिआइन
- माँझी → मँझिआइन
- बेदिया → बेदियाइन
- नून → नूनछाइन
अन्य लिंग रूप
- नाति → नातिन
- टांगा → टंइंगला
- नुनू → नुनी
- थारा → थारी
- बाछा → बाछी
- मरद → जनी
- सूप → सुपली
- दोना → टुपली
- खांची → खंइचली
- बकरा → छगरी
इस प्रकार खोरठा में लिंग रूपों को बनाने के लिए कुछ विशेष प्रत्ययों का उपयोग किया जाता है, जो शब्दों को स्त्रीलिंग और पुलिंग में विभाजित करते हैं।