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खोरठा वाच्य व्याकरण | JSSC CGL Khortha Notes

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खोरठा वाच्य (khortha vachy )- वाच्य क्रिया के वेसन बदलल रूप के कहल जा हे, जेकर से उस बात के पछान बा पता चाले कि वाक्य में कर्ता, कर्म बा भाव में  केकर प्रधानता हइ ।

खोरठा वाच्य (khortha vachy ) की परिभाषा- क्रिया के वेसन बदलाव के कहल जा हे ,जेकर से कर्ता ,कर्म बा  भावके लेतारे किया के रूप में बदलाव के पछान होवे उकरा वाच्य कहल जा हे ।    

हिंदी में परिभाषा – क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे कर्ता, कर्म और भाव के अनुसार क्रिया के परिवर्तन ज्ञात होते हैं। उसे वाच्य कहते है ।

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खोरठा वाच्य (khortha vachy ) के पटतइर इ लाखे है –

1.राधा खाना बनेलक ।

2.राधा ले खाना बनवल गेल

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यद्यपि दोनो वाक्यों का अर्थ समान्य तो लग ही रहा है किंतु दोनों के अर्थ में सूक्ष्म अंतर है। दोनों की सरंचना भी अलग है।  कर्ता द्वारा राधा  के कार्य खाना बनाना को प्रधानता दी गई है।
वाक्य एक में कर्ता क्रिया को करने में सक्रिय रूप से भाग लेता है। वहीं वाक्य दो में उसकी भूमिका निष्क्रिय हो जाती ​है।

वाक्य दो में कर्ता के कार्य को नकारने या निरस्त करने का कार्य किया गया है

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वाच्य के भेद

कर्तृवाच्य

जिस वाक्य में कर्ता मुख्य हो और क्रिया कर्ता के लिंग, वचन एवं पुरूष के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते है। जैसे –

  • बेटी छउआ बाजार ज रहल हथ।
  • माइ रामायण पढ्त हइ ।
  • राधा खा के सूत गेलइ ।

इ वइके  रहल हथ, पढ्त हइ, सूत गेल ई सभे  क्रियाएं कर्ता के अनुसार आइल हे।

कर्मवाच्य

जिस वाक्य में कर्म मुख्य हो तथा इसकी सकर्मक क्रिया के लिंग, वचन व पुरूष कर्म के अनुसार हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। जैसे –

  • बेटी छउआ लेतारे गीत गावल जा रहल हे।
  • हमर ले रामायण पढ़ल जा रहल हे ।
  • सुकरी ले किताब पढ़ल गेल ।
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इ वइके  में गावल जा रहल हे, पढ़ल जा रहल हे क्रियाएं कर्म के लिंग, वचन, पुरूष के बदले आइल हइ।

भाववाच्य

जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया का भाव मुख्य हो, उसे भाववाच्य कहते हैं  जैसे –

हमर से हुवा रुकल नाई जेतो ।

ओकर से अगु काहे नाई पढ़ल जा रहल हे।

हमर से हला गुला में नाई सुतल जेतो ।

इ वइके  में रुकल नाई जेतो, पढ़ल जा रहल हे आर  नाई सुतल जेतो क्रियाएं भाववाच्य हइ ।

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