Home / Khortha Notes / भुवनेश्वर व्याकुल जी की जीवनी | JSSC CGL Khortha Notes

भुवनेश्वर व्याकुल जी की जीवनी | JSSC CGL Khortha Notes

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

जीवन परिचय

भुवनेश्वर व्याकुल की जीवनी

जन्म:-  2 फरवरी 1908

मृत्यु :- 17 सितंबर 1984

जन्म स्थान:-  महथाडीह गिरिडीह

पिता:-  बलदेव प्रसाद उपाध्याय

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

उपनाम –  व्याकुल और राष्ट्रीय कवि( यह नाम हजारीबाग के पूर्व सांसद और स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह ने दिया)

शिक्षा :- B. A, Diploma in Office Procedure

नौकरी :- Operator in Bokaro Steel Plant

भुवनेश्वर व्याकुल जी की जीवनी Khortha Notes BY Jharkhand Exam Prep
भुवनेश्वर व्याकुल जी की जीवनी

प्रारंभिक जीवन(भुवनेश्वर व्याकुल की जीवनी) 

भुवनेश्वर व्याकुल का जीवन बहुत ही कष्ट में बीताl इनके जन्म के 6 महीने बाद है इनके पिता का देहांत हो गया और इसके बाद इनकी देखभाल इन के आजा  पंडित अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने कियाl  उन्होंने महज  11 वर्ष की उम्र में घर छोड़ने का फैसला लिया और भागकर काशी, वाराणसी चले गएl  हालांकि कुछ दिन बाद वह वापस भी आ गएl  इन्होंने अपना विवाह दूसरे जाति की लड़की से किया जिसका नाम ‘सरस्वती देवी’ हैl

Also Read:  खोरठा भाषा के कहावत (लोकोक्ति) | JSSC CGL Khortha Notes

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

सन 1925 में व्याकुल जी स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े, जिस वजह से वह कई बार जेल भी गए और 1930 में जेल में ही उनकी मुलाकात हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी से हुईl इसके बाद उन्होंने कई पुस्तक के लिखे जेल में रह कर ही, ऐसा माना जाता है कि उनकी रचनाएं अंग्रेजों के शोषण को दर्शाता था, जिस वजह से उन्हें अंग्रेजों ने जला दिया थाl  सन 1940 में रामगढ़ में हुए कांग्रेस अधिवेशन  को सफल करने में इनका बहुत बड़ा योगदान थाl

Also Read:  महुआक भनिता कविता (लेखक - श्री अतुल चंद्र मुखर्जी) - एक पथिया डोंगल महुवा खोरठा कविता | JSSC CGL Khortha Notes

हिंदी कृतियां

प्रताप

वर्तमान

कर्मवीर

लोकमान्य

विश्वमित्र

हिंदू

पंच

हिंदुस्तान

बालक

जनता

सफर का साथी

छोटा नागपुर

कलम – ए – व्याकुल

उर्दू कृतियाँ

हुस्नो – इश्क़

फलक से

खोरठा लेखन

भुवनेश्वर व्याकुल की जीवनी- यह आधुनिक काल के खोरठा के पहले कवि माने जाते हैंl इन्होंने खोरठा लेखन तब शुरू किया जब खोरठा साहित्य था भी नहींl  खोरठा केवल लोकगीतों, झूमर गीत, आम बोलचाल की भाषा में ही प्रयोग होता थाl  खोरठा में इनकी रचनाएं प्रेम, प्रेम में अलगाव, मां का प्रेम और सामाजिक बदलाव पर लिखी गई थीl  इनकी रचनाएं विशुनगढ़ स्थित ‘ सुखद खोरठा साहित्य कुटीर से प्रकाशित होती थीl

Also Read:  खोरठा लोकसाहित्य की विशेषता और महत्व | JSSC CGL Khortha Notes

खोरठा में गीत संग्रह

भुवनेश्वर व्याकुल की जीवनी

किसानों का आंत्रनाद ( 1943 – 44 )

मादल ( 1950 – 51 )

मादल ध्वनि मधुर ताल ( 1976-77 )

सम्मान

भुबनेश्वर याकुल को अपने जीवन काल में कोई भी सम्मान नहीं मिल पाया, इन्हें इनकी मृत्यु के बाद सन् 1989 में  ‘खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद, बोबोकारो’ द्वारा ‘ श्री निवासपानुरी स्मृति सम्मान’ दिया गयाl

Leave a comment