खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (NCERT Class 10 Notes): खनिज और ऊर्जा संसाधन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये न केवल उद्योगों के विकास में सहायक होते हैं, बल्कि दैनिक जीवन में भी आवश्यक हैं। इस अध्याय में हम खनिजों की उपलब्धता, उनके वर्गीकरण, धात्विक और अधात्विक खनिजों, खनिजों के संरक्षण और ऊर्जा संसाधनों के प्रकारों पर चर्चा करेंगे।
Textbook | NCERT |
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Class | Class 10 Notes |
Subject | Geography |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | खनिज तथा ऊर्जा संसाधन |
Category | कक्षा 10 Geography नोट्स |
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Website | Jharkhand Exam Prep |
खनिज: परिभाषा और महत्व
खनिजों को ठोस, प्राकृतिक रूप से निर्मित पदार्थों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिनका एक निश्चित रासायनिक संरचना, कठोरता, रंग और आकार होता है। ये विभिन्न उद्योगों में, जैसे कि निर्माण, परिवहन, और अन्य दैनिक आवश्यकताओं में उपयोग किए जाते हैं।
अयस्क
अयस्क एक विशेष प्रकार का खनिज होता है, जिसमें धातु के अंश होते हैं। उदाहरण के लिए, लोहे, मैंगनीज, और अभ्रक। ये अयस्क विभिन्न अशुद्धियों के साथ प्राकृतिक अवस्था में पाए जाते हैं और इनका उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।
खनिजों का वर्गीकरण
खनिजों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। मुख्य रूप से, इन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- धात्विक खनिज: इनमें धातु का अंश अधिक होता है।
- लौह खनिज: जैसे लोहे और मैंगनीज।
- अलौह खनिज: जैसे तांबा और जस्ता।
- बहुमूल्य खनिज: जैसे सोना, चांदी और प्लैटिनम।
- अधात्विक खनिज: जिनमें धातु का अंश नहीं होता। जैसे नमक, चूना पत्थर और अभ्रक।
- ऊर्जा खनिज: जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस।
खनिजों की उपलब्धता
आग्नेय और कायांतरित चट्टानों से खनिजों का निर्माण
खनिज मुख्य रूप से आग्नेय और कायांतरित चट्टानों में पाए जाते हैं। इन चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ों, और भ्रंशों में मिलते हैं। जब ये तरल या गैसीय अवस्था में दरारों से भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं, तब ठंडे होकर जम जाते हैं।
खनिजों के प्राप्ति स्थल
- आग्नेय और कायांतरित चट्टानों में: जैसे जस्ता, तांबा, जिंक।
- अवसादी चट्टानों की परतों में: जैसे कोयला और पोटाश।
- जलोढ़ जमाव में: जैसे सोना और चांदी।
- महासागरीय जल में: जैसे नमक और मैग्नीशियम।
खनिजों के संरक्षण का महत्व
खनिजों का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि ये नवीकरणीय नहीं होते। इनके निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं, और वर्तमान में हम तेजी से इनका उपयोग कर रहे हैं। खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपायों में खनन और परिष्करण में अपव्यय कम करना, पुनः चक्रण करना, और वैकल्पिक संसाधनों का उपयोग शामिल हैं।
ऊर्जा संसाधन: परिभाषा और वर्गीकरण
ऊर्जा संसाधन वे पदार्थ हैं जो हमारे दैनिक जीवन में ऊर्जा प्रदान करते हैं। इन्हें मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जैसे लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस।
- गैर-परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जैसे सौर, पवन, भू-तापीय, और ज्वारीय ऊर्जा।
परंपरागत ऊर्जा स्रोत
- कोयला: भारत में कोयला एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत है। इसे विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- लिग्नाइट: निम्न कोटि का भूरा कोयला।
- बिटुमिनस कोयला: वाणिज्यिक उपयोग के लिए लोकप्रिय।
- एंथ्रासाइट: सर्वोत्तम गुण वाला कठोर कोयला।
- पेट्रोलियम: यह ताप और प्रकाश के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। भारत में इसका प्रमुख उत्पादन मुम्बई हाई से होता है।
- प्राकृतिक गैस: इसे उद्योगों में ऊर्जा और कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी उत्पादन प्रक्रिया अधिक पर्यावरण-अनुकूल है।
- विद्युत: यह जल विद्युत और ताप विद्युत दोनों तरीकों से उत्पन्न की जाती है। जल विद्युत नवीकरणीय संसाधन है, जबकि ताप विद्युत जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर करती है।
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत
- सौर ऊर्जा: यह एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। भारत में इसकी प्रचुरता है और यह प्रदूषण रहित है।
- पवन ऊर्जा: भारत में पवन ऊर्जा फार्म तमिलनाडु में सबसे बड़े हैं। ये ऊर्जा उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण साधन बन चुके हैं।
- ज्वारीय ऊर्जा: महासागरीय तरंगों का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है। भारत में खम्भात की खाड़ी में इसके लिए आदर्श स्थितियाँ हैं।
- भू-तापीय ऊर्जा: पृथ्वी के आंतरिक ताप का उपयोग कर ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
ऊर्जा के संरक्षण के उपाय
ऊर्जा के संरक्षण के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
- आवश्यकता न होने पर विद्युत उपकरणों को बंद करें।
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का अधिकतम उपयोग करें।
- ऊर्जा बचत उपकरणों का प्रयोग करें।
निष्कर्ष
खनिज और ऊर्जा संसाधन हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं। इनके बिना विकास संभव नहीं है। हमें इनका संरक्षण करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए ये संसाधन उपलब्ध रहें। खनिजों और ऊर्जा के सतत विकास के लिए हमें समुचित योजनाएँ बनानी होंगी और इन्हें समझदारी से उपयोग करना होगा।
इस अध्याय ने हमें खनिजों और ऊर्जा संसाधनों के महत्व को समझाने के साथ-साथ उनके संरक्षण के तरीकों की जानकारी भी प्रदान की है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इन संसाधनों का विवेकपूर्ण और सतत उपयोग करें।