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विनिर्माण उद्योग: NCERT Class 10 Geography Chapter 6 Notes

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विनिर्माण उद्योग: विनिर्माण उद्योग न केवल एक देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह सामाजिक, पर्यावरणीय और वैश्विक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। हमें यह समझना होगा कि विनिर्माण उद्योग का विकास कैसे संतुलित हो सकता है ताकि हम एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकें। इस दिशा में सही नीतियों, प्रौद्योगिकियों और समझदारी से किए गए निर्णयों की आवश्यकता है।

TextbookNCERT
ClassClass 10 Notes
SubjectGeography
ChapterChapter 6
Chapter Nameविनिर्माण उद्योग
Categoryकक्षा 10 Geography नोट्स
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WebsiteJharkhand Exam Prep
विनिर्माण उद्योग: NCERT Class 10 Geography Chapter 6 Notes

1. विनिर्माण की परिभाषा

विनिर्माण का अर्थ है मशीनों के द्वारा कच्चे माल को उच्च मूल्य वाली वस्तुओं में परिवर्तित करना। यह प्रक्रिया बड़े पैमाने पर होती है और औद्योगिक क्षेत्र के विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विनिर्माण उद्योग, प्राथमिक कृषि क्षेत्र के बाद, द्वितीयक क्षेत्र का एक प्रमुख हिस्सा है, जो देश की आर्थिक संरचना को मजबूत बनाता है।

2. विनिर्माण उद्योग का महत्व

विनिर्माण उद्योग का महत्व कई दृष्टिकोण से देखा जा सकता है:

  • आधुनिकीकरण: यह कृषि के आधुनिकीकरण में सहायता करता है। जब कृषि उद्योग की सहायता से उन्नत तकनीकें शामिल की जाती हैं, तो यह उत्पादन बढ़ाने में मददगार होती हैं।
  • आय में विविधता: विनिर्माण उद्योग लोगों की आय में विविधता लाता है। इससे लोग कृषि पर कम निर्भर रहते हैं और उनके पास अन्य आय के स्रोत होते हैं।
  • रोजगार के अवसर: यह प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाता है। इससे बेरोजगारी और गरीबी में कमी आती है। रोजगार के नए अवसर निर्मित होते हैं, जो समाज के विकास में सहायक होते हैं।
  • विदेशी मुद्रा: निर्मित वस्तुओं का निर्यात वाणिज्य को बढ़ावा देता है और इसके साथ-साथ विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। यह एक देश की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाता है।
  • संपन्नता: बड़े पैमाने पर विनिर्माण करने से देश में आर्थिक संपन्नता आती है। जब एक देश में विनिर्माण का स्तर ऊँचा होता है, तो यह राष्ट्रीय विकास को गति प्रदान करता है।

3. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का योगदान

भारत में, पिछले दो दशकों में विनिर्माण उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान लगभग 27 प्रतिशत रहा है, जिसमें से लगभग 17 प्रतिशत केवल विनिर्माण उद्योग से आया है। इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों जैसे खनिज, गैस और विद्युत ऊर्जा का भी योगदान महत्वपूर्ण है।

  • पूर्वी एशियाई देशों के मुकाबले: भारत की तुलना में अन्य पूर्वी एशियाई देशों में विनिर्माण का योगदान अधिक है, जहाँ यह सकल घरेलू उत्पाद का 25 से 35 प्रतिशत है।
  • विकास की दर: पिछले एक दशक में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जो अगले दशक में 12 प्रतिशत की अपेक्षित है।

4. उद्योगों की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक

उद्योगों की अवस्थिति कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें भौतिक और मानवीय दोनों प्रकार के कारक शामिल होते हैं।

भौतिक कारक:

  • जलवायु: अनुकूल जलवायु उद्योग की सफलता के लिए आवश्यक है।
  • शक्ति के साधन: ऊर्जा की उपलब्धता भी बहुत महत्वपूर्ण है।
  • कच्चे माल की उपलब्धता: उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल का नजदीक होना आवश्यक है।

मानवीय कारक:

  • श्रम: श्रमिकों की उपलब्धता और उनकी कौशलता उद्योग की वृद्धि में महत्वपूर्ण होती है।
  • पूंजी: उद्योग को चलाने के लिए आवश्यक पूंजी की उपलब्धता।
  • बाजार और परिवहन: बाजार की नजदीकता और परिवहन की सुविधाएं भी महत्वपूर्ण होती हैं।
  • आधारभूत संरचना: बेहतर बुनियादी ढांचा उद्योग की स्थापना में सहायक होता है।
  • सरकारी नीतियाँ: सरकार की नीतियाँ और सहयोग भी उद्योग की स्थिति को प्रभावित करते हैं।

5. उद्योगों का वर्गीकरण

उद्योगों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो उनके कार्य और संरचना पर निर्भर करते हैं।

5.1 प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर

  • कृषि आधारित उद्योग: ये उद्योग कृषि उत्पादों से संबंधित होते हैं, जैसे सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, रबर, चीनी, चाय आदि।
  • खनिज आधारित उद्योग: इन उद्योगों में खनिजों और धातुओं का उपयोग होता है, जैसे लोहा, इस्पात, सीमेंट, और एल्यूमिनियम।

5.2 प्रमुख भूमिका के आधार पर

  • आधारभूत उद्योग: ये उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करते हैं। जैसे, लोहा, इस्पात, तांबा, आदि।
  • उपभोक्ता उद्योग: ये सीधे उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों का उत्पादन करते हैं, जैसे चीनी, कागज, आदि।

5.3 पूंजी निवेश के आधार पर

  • लघु उद्योग: जिनमें 1 करोड़ रुपए तक का निवेश होता है।
  • बृहत उद्योग: जिनमें 1 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश होता है।

5.4 स्वामित्व के आधार पर

  • सार्वजनिक क्षेत्र: ये सरकार के स्वामित्व में होते हैं।
  • निजी क्षेत्र: ये निजी व्यक्तियों या समूहों द्वारा चलाए जाते हैं।
  • संयुक्त उद्योग: ये राज्य और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलते हैं।

6. कृषि आधारित उद्योग

कृषि आधारित उद्योग वे होते हैं, जो कृषि उत्पादों को औद्योगिक उत्पादों में परिवर्तित करते हैं। जैसे सूती वस्त्र, पटसन, चीनी आदि।

6.1 सूती वस्त्र उद्योग

सूती वस्त्र उद्योग भारत में एक प्रमुख उद्योग है। इसका महत्व इस कारण है कि यह कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पाद तक की पूरी श्रृंखला का उत्पादन करता है। इस उद्योग का इतिहास भी बहुत पुराना है।

महात्मा गांधी के चरखा आंदोलन ने इस उद्योग को पुनर्जीवित किया।

7. पटसन (जूट) उद्योग

भारत पटसन का सबसे बड़ा उत्पादक है। पटसन उद्योग मुख्यतः पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसका मुख्य कारण है कि यहाँ जूट की खेती के लिए अनुकूल जलवायु है।

7.1 जूट उद्योग की चुनौतियाँ

  • कृत्रिम रेशों से प्रतिस्पर्धा
  • लागत का बढ़ना
  • निर्यात के लिए बुनियादी ढांचे की कमी

8. चीनी उद्योग

भारत चीनी उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है। यह उद्योग उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आदि राज्यों में फैला हुआ है।

8.1 चीनी उद्योग की चुनौतियाँ

  • मौसमी प्रकृति
  • पुराने संयंत्रों का होना
  • परिवहन की कमी

9. खनिज आधारित उद्योग

खनिज आधारित उद्योगों में लौह और इस्पात उद्योग महत्वपूर्ण हैं। भारत में लौह और इस्पात का उत्पादन छोटा नागपुर पठारी क्षेत्र में केंद्रित है।

9.1 लौह और इस्पात उद्योग की चुनौतियाँ

  • उच्च लागत
  • ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति
  • श्रम की उत्पादकता में कमी

10. रासायनिक उद्योग

भारत में रासायनिक उद्योग का योगदान लगभग 3 प्रतिशत है। इसमें कार्बनिक और अकार्बनिक दोनों प्रकार के रसायनों का उत्पादन होता है।

10.1 रासायनिक उद्योग की प्रमुख उत्पाद

  • पेट्रो रसायन: कृत्रिम वस्त्र, रबर, प्लास्टिक आदि।
  • अकार्बनिक रसायन: सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल आदि।

11. उर्वरक उद्योग

उर्वरक उद्योग नाइट्रोजनी, फास्फेटिक और मिश्रित उर्वरकों का उत्पादन करता है।

11.1 उर्वरक उद्योग की चुनौतियाँ

  • पोटेशियम यौगिकों का आयात
  • बढ़ती मांग

12. सीमेंट उद्योग

सीमेंट उद्योग भारत के निर्माण क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

12.1 सीमेंट उद्योग की विशेषताएँ

  • निर्माण कार्यों में आवश्यक
  • उत्तम गुणवत्ता का उत्पादन

13. मोटरगाड़ी उद्योग

भारत में मोटरगाड़ी उद्योग ने उदारीकरण के बाद तेजी से वृद्धि की है।

13.1 मोटरगाड़ी उद्योग की विशेषताएँ

  • आधुनिक वाहनों का उत्पादन
  • उच्च मांग

14. सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। बेंगलुरु इसे इलेक्ट्रॉनिक राजधानी के रूप में विकसित कर रहा है।

14.1 सूचना प्रौद्योगिकी का योगदान

  • रोजगार सृजन
  • विदेशी मुद्रा अर्जन
  • महिलाओं की भागीदारी

15. औद्योगिक प्रदूषण और पर्यावरणीय प्रभाव

औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

प्रदूषण के प्रकार

  • वायु प्रदूषण: औद्योगिक कचरे और गैसों का उत्सर्जन।
  • जल प्रदूषण: औद्योगिक कचरे के कारण जल का प्रदूषण

  • ध्वनि प्रदूषण: मशीनों और उद्योगों से उत्पन्न ध्वनि।

प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

  • प्रदूषित जल का शुद्धिकरण।
  • नवीनीकरणीय ऊर्जा का उपयोग।
  • औद्योगिक प्रक्रिया को अपग्रेड करना।

निष्कर्ष

विनिर्माण उद्योग न केवल एक देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह सामाजिक, पर्यावरणीय और वैश्विक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। हमें यह समझना होगा कि विनिर्माण उद्योग का विकास कैसे संतुलित हो सकता है ताकि हम एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकें। इस दिशा में सही नीतियों, प्रौद्योगिकियों और समझदारी से किए गए निर्णयों की आवश्यकता है।

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