17 अप्रैल, 2023 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य में लाह की खेती को कृषि का दर्जा देने पर सहमति दी गई।
प्रमुख बिंदु
कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि लाह को कृषि का दर्जा मिलने से खूंटी, गुमला, सिंहभूम, लातेहार, गढ़वा, हज़ारीबाग ज़िला समेत राज्य के 12 ज़िलों के करीब पाँच लाख किसान परिवार को लाभ मिलेगा।
गौरतलब है कि लाह का उत्पादन करने में झारखंड राज्य देश में पहले स्थान पर है। झारखंड में लाह की खेती सबसे अधिक की जाती है क्योंकि यहाँ के किसानों के पास लाह की खेती करने के लिये पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं जो उन्हें इस खेती को करने में बेहद मदद करते हैं। इसके अलावा झारखंड का मौसम भी लाह की खेती करने के लिये उत्तम होता है।
आँकड़ों के अनुसार झारखंड राज्य में प्रति वर्ष 15-16 हज़ार टन लाह का उत्पादन किया जाता है। यहाँ के अधिकतर लोगों की यह खेती जीवन जीने का एक बेहतरीन स्त्रोत है। लाह की खेती से जुड़े किसानों को कुल आय का 25 फीसदी लाह से ही प्राप्त होता है।
विदित है कि लाख या लाह एक प्राकृतिक राल है, इसी कारण इसे ‘प्रकृति का वरदान’ कहते हैं। लाख के कीट अत्यंत सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को ‘लेसिफर लाखा’कहा जाता है।