1 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने ‘झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2003’ तैयार किया है, जिसे जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
इस विधेयक का उद्देश्य परीक्षाओं में होने वाली चोरी को रोकना है। कानून बनने के बाद यह विधेयक पूरे राज्य में लागू होगा।
राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती समितियों द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं, राज्य सरकार के लोक उपक्रमों द्वारा आयोजित परीक्षा के अलावा निगम और निकायों द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा पर यह लागू होगा।
इस विधेयक में परीक्षार्थियों के अलावा, परीक्षा की प्रक्रिया में शामिल होने वाली एजेंसियों, सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने या परीक्षा की गोपनीयता भंग करने वाली जानकारी को सार्वजनिक करने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
इसके अलावा परीक्षा ड्यूटी में शामिल कर्मचारियों, उनके पारिवारिक सदस्यों या रिश्तेदारों को धमकी देने और परीक्षा के संबंध में गलत सूचना प्रचारित करने व अफवाह फैलाने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
विधेयक में दंड के संबंध में किये गए प्रावधान के अनुसार, अगर कोई परीक्षार्थी नकल करते या कराते हुए पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल की सजा होगी, साथ ही उस पर पांच लाख रुपए तक का दंड लगाया जा सकेगा। दंड की रकम नहीं चुकाने पर अतिरिक्त नौ महीने की सजा होगी।
परीक्षार्थी के दूसरी बार चोरी करते या कराते पकड़े जाने पर सात साल की सजा होगी और 10 लाख रुपए दंड लगेगा।
परीक्षार्थी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दायर कर दो से पाँच साल तक परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। न्यायालय द्वारा सजा होने पर संबंधित परीक्षार्थी 10 साल तक प्रतियोगी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगा।
परीक्षा की प्रक्रिया में शामिल किसी कंपनी या एजेंसी द्वारा परीक्षा की गोपनीयता भंग करने, प्रश्न पत्र लीक करनेवालों को कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी। साथ ही एक करोड़ से लेकर दो करोड़ रुपए तक दंड लगेगा। दंड की रकम नहीं चुकाने पर अतिरिक्त तीन साल कारावास की सजा होगी।