Home / NCERT Class 10 Notes / Class 10 Civics Notes / सत्ता की साझेदारी: JAC Class 10 Civics Chapter 1 Notes

सत्ता की साझेदारी: JAC Class 10 Civics Chapter 1 Notes

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

सत्ता की साझेदारी (JAC Class 10 Civics Notes): लोकतंत्र की आधारशिला में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है सत्ता की साझेदारी। यह अवधारणा बताती है कि किसी भी शासन प्रणाली में सभी सामाजिक समूहों और समुदायों को सत्ता में भागीदारी का अवसर मिलना चाहिए। यह न केवल राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज में समरसता और सामंजस्य भी बनाए रखता है। इस अध्याय में हम सत्ता की साझेदारी के महत्व, इसकी आवश्यकता, और विभिन्न देशों में इसके प्रभावी उदाहरणों की चर्चा करेंगे, जैसे बेल्जियम और श्रीलंका।

TextbookNCERT
ClassClass 10 Notes
SubjectCivics
ChapterChapter 1
Chapter Nameसत्ता की साझेदारी
Categoryकक्षा 10 Civics नोट्स
Join our WhatsApp & Telegram channel to get instant updates Join WhatsApp
Join Telegram
WebsiteJharkhand Exam Prep

सत्ता की साझेदारी: JAC Class 10 Civics Chapter 1 Notes

सत्ता की साझेदारी

परिभाषा

सत्ता की साझेदारी का तात्पर्य है कि किसी समाज के विभिन्न समूह, जैसे जाति, धर्म, भाषा, और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर, शासन में समान रूप से भाग लें। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों की आवाज़ सुनी जाए और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।

महत्व

  1. स्थिरता: सत्ता की साझेदारी से विभिन्न समूहों के बीच टकराव की संभावनाएँ कम होती हैं। जब लोग महसूस करते हैं कि उन्हें सत्ता में भागीदारी का अवसर मिल रहा है, तो वे अपनी समस्याओं और चिंताओं के बारे में अधिक खुलेपन से बात कर सकते हैं।
  2. संविधानिक अधिकार: लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में नागरिकों का यह अधिकार है कि वे शासन के तरीके पर प्रभाव डालें। यह न केवल शासन की गुणवत्ता को बढ़ाता है बल्कि नागरिकों में विश्वास भी स्थापित करता है।
  3. सामाजिक न्याय: सत्ता की साझेदारी से समाज में समानता और न्याय का सिद्धांत मजबूत होता है। जब सभी समूहों को समान अवसर मिलता है, तो यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होता है।

सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता

सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता कई कारणों से होती है:

  1. सामाजिक सौहार्द्र: यह विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्द्र और शांति को बनाए रखने में मदद करता है। जब विभिन्न समूहों को उनके अधिकारों और हितों की पहचान होती है, तो इससे आपसी समझ और सहयोग बढ़ता है।
  2. बहुसंख्यक का आतंक: कई समाजों में बहुसंख्यक समुदाय की दबंगई से अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का हनन होता है। सत्ता की साझेदारी के माध्यम से, अल्पसंख्यकों को भी अपने अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन मिलता है।
  3. लोगों की आवाज़: एक मजबूत लोकतंत्र में, लोगों की आवाज़ ही उसकी नींव होती है। सत्ता की साझेदारी सुनिश्चित करती है कि सभी वर्गों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिले।

बेल्जियम की समझदारी

जातीय बनावट

बेल्जियम एक छोटा सा यूरोपीय देश है, जिसकी सामाजिक संरचना बहुत जटिल है। यहां 59% लोग डच बोलते हैं, 40% फ्रेंच बोलते हैं, और 1% जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्रुसेल्स में फ्रेंच भाषी लोग बहुसंख्यक हैं, जबकि डच भाषी अल्पसंख्यक हैं।

सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्ष

बेल्जियम में 1950 और 1960 के दशक में डच और फ्रेंच भाषी समूहों के बीच तनाव बढ़ा। यह तनाव इस बात को लेकर था कि डच बोलने वाले समूहों को आर्थिक और शैक्षणिक अवसरों से वंचित किया गया था। इस स्थिति को सुधारने के लिए बेल्जियम ने एक नई शासन प्रणाली अपनाई।

समाधान

1970 से 1993 के बीच, बेल्जियम ने अपने संविधान में कई संशोधन किए ताकि सभी समुदायों को उनके अधिकारों का सम्मान मिले। उन्होंने केंद्र सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की समान संख्या सुनिश्चित की और क्षेत्रीय सरकारों को भी शक्तियाँ दीं। इस तरह, बेल्जियम ने एक सफल मॉडल प्रस्तुत किया जो सांस्कृतिक विविधताओं को सम्मानित करता है।

श्रीलंका का मामला

जातीय बनावट

श्रीलंका एक द्वीपीय देश है, जिसमें 74% सिहली और 18% तमिल लोग रहते हैं। यहां भी जातीय समूहों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई। सिहली बहुसंख्यक समुदाय ने अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकारों की अवहेलना की, जिसके परिणामस्वरूप गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई।

बहुसंख्यकवाद

श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद की अवधारणा के अनुसार, सिहली समुदाय ने यह मान लिया कि वे अपने नियमों और कानूनों को दूसरों पर थोप सकते हैं। 1956 में सिहली समुदाय के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कई कानून पारित किए गए, जिससे तमिल समुदाय की आवाज़ को दबा दिया गया।

गृहयुद्ध

गृहयुद्ध तब उत्पन्न होता है जब सरकार विरोधी समूहों के बीच संघर्ष इतना बढ़ जाता है कि यह युद्ध का रूप ले लेता है। श्रीलंका में यह स्थिति बहुत गंभीर हो गई और अब तक यह संकट जारी है।

भारत में सत्ता की साझेदारी

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार है। भारतीय लोकतंत्र में सभी प्रकार की राजनीतिक शक्तियों का स्रोत प्रजा होती है।

नागरिकों की भागीदारी

भारत में चुनावी प्रक्रिया नागरिकों की भागीदारी पर आधारित है। लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो बाद में सरकार का गठन करते हैं। इस प्रक्रिया में सभी नागरिकों की आवाज़ महत्वपूर्ण होती है।

सामाजिक समूहों का सम्मान

एक सही लोकतांत्रिक सरकार में विभिन्न सामाजिक समूहों और मतों को सम्मान दिया जाता है। नीतियों के निर्माण में हर नागरिक की राय महत्वपूर्ण होती है।

सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप

सत्ता की साझेदारी के कई रूप होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. ऊर्ध्वाधर वितरण:
  • इसमें केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, और स्थानीय निकायों के बीच सत्ता का वितरण होता है।
  1. क्षैतिज वितरण:
  • इसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का वितरण होता है।
  1. सामाजिक समूहों के बीच वितरण:
  • इसमें विभिन्न सामाजिक, भाषाई और धार्मिक समूहों के बीच सत्ता का वितरण शामिल होता है।

क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर वितरण

क्षैतिज वितरण

  • विधायिका: कानून का निर्माण करती है (उदाहरण: लोकसभा, राज्य सभा)।
  • कार्यपालिका: कानून का क्रियान्वयन करती है (उदाहरण: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद)।
  • न्यायपालिका: कानून की व्याख्या करती है (उदाहरण: सर्वोच्च न्यायालय)।

ऊर्ध्वाधर वितरण

  • केंद्रीय सरकार: देश के लिए जिम्मेदार होती है।
  • राज्य सरकार: राज्यों के लिए कार्य करती है।
  • स्थानीय स्वशासन: ग्राम पंचायत, ब्लॉक समिति आदि के माध्यम से स्थानीय स्तर पर कार्य करती है।

निष्कर्ष

सत्ता की साझेदारी एक लोकतांत्रिक समाज के लिए आवश्यक है। यह न केवल स्थिरता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है, बल्कि नागरिकों को अपनी आवाज़ व्यक्त करने का अवसर भी देती है। बेल्जियम और श्रीलंका के उदाहरण यह दिखाते हैं कि कैसे सत्ता की साझेदारी एक समाज को सुरक्षित और समृद्ध बना सकती है।

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है, जो सभी वर्गों के लिए समान अवसर और अधिकार सुनिश्चित करती है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी से न केवल सामाजिक समरसता बढ़ती है, बल्कि यह शासन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाती है।

Leave a comment