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राजनीतिक दल: NCERT Class 10 Civics Chapter 6 Notes

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राजनीतिक दल (JAC Class 10 Civics Notes): इस अध्याय में हम राजनीतिक दलों की भूमिका, कार्य, और उनके महत्व को समझेंगे। राजनीतिक दल लोकतंत्र की नींव हैं और इनका कार्य केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है। वे समाज के विभिन्न मुद्दों को उठाने और राजनीतिक विचारधाराओं को स्पष्ट करने का कार्य करते हैं। आइए, गहराई से जानते हैं कि राजनीतिक दल क्या हैं, इनके घटक क्या हैं, और ये लोकतंत्र में कैसे कार्य करते हैं।

TextbookNCERT
ClassClass 10 Notes
SubjectCivics
ChapterChapter 6
Chapter Nameराजनीतिक दल
Categoryकक्षा 10 Civics नोट्स
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WebsiteJharkhand Exam Prep
राजनीतिक दल: NCERT Class 10 Civics Chapter 6 Notes


राजनीतिक दल क्या है?

राजनीतिक दल एक संगठित समूह है जो चुनावों में भाग लेकर और राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए काम करता है। ये दल विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक विचारों के आधार पर बनते हैं। राजनीतिक दलों का मुख्य उद्देश्य चुनाव जीतकर सरकार बनाना और अपनी नीतियों को लागू करना होता है।

राजनीतिक दल के घटक

राजनीतिक दल के कुछ मुख्य घटक होते हैं:

  1. नेता: नेता दल का मुखिया होता है, जो नीतियों का निर्धारण करता है और चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करता है।
  2. सक्रिय सदस्य: ये वे लोग होते हैं जो दल की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, जैसे चुनाव प्रचार, रैलियाँ, और जनसंपर्क।
  3. अनुयायी या समर्थक: ये लोग दल की नीतियों और विचारधाराओं का समर्थन करते हैं, लेकिन सक्रिय सदस्यों की तरह दल की गतिविधियों में शामिल नहीं होते।

राजनीतिक दल का कार्य

राजनीतिक दलों के कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. चुनाव लड़ना: राजनीतिक दल चुनावों में अपने उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं, ताकि वे सत्ता प्राप्त कर सकें।
  2. नीतियों और कार्यक्रमों को प्रस्तुत करना: दल अपने विचारों और कार्यक्रमों को जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं, ताकि मतदाता समझ सकें कि वे क्या चाहते हैं।
  3. कानून निर्माण: चुनाव जीतने पर, दल संसद में कानून बनाने में भाग लेते हैं, जो समाज के विकास में सहायक होते हैं।
  4. सरकार बनाना और चलाना: यदि दल चुनाव जीतता है, तो यह सरकार का गठन करता है और प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है।
  5. विरोधी पक्ष की भूमिका निभाना: विपक्ष का कार्य सरकार की नीतियों की आलोचना करना और बेहतर विकल्प प्रस्तुत करना होता है।
  6. मुद्दों को उठाना: राजनीतिक दल सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर जन जागरूकता बढ़ाते हैं और आंदोलन की शुरुआत करते हैं।
  7. कल्याण कार्यक्रमों को लोगों तक पहुँचाना: दल सरकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।
  8. जनमत का निर्माण: राजनीतिक दल जनता में जागरूकता और समर्थन बढ़ाते हैं, ताकि उनके मुद्दों को प्राथमिकता मिले।

लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका

विपक्ष का लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह न केवल सरकार की नीतियों की आलोचना करता है, बल्कि सकारात्मक सुझाव भी देता है। विपक्ष की भूमिका निम्नलिखित है:

  1. सरकार की नीतियों पर नज़र रखना: यह सुनिश्चित करता है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा रही है।
  2. सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना: विपक्ष गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाता है और सुधार के लिए सुझाव देता है।
  3. सकारात्मक भूमिका निभाना: विपक्ष का कार्य केवल विरोध करना नहीं है, बल्कि जनहित में रचनात्मक सुझाव देना भी है।

राजनीतिक दल की आवश्यकता

आधुनिक लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिना राजनीतिक दलों के, चुनाव प्रक्रिया और राजनीतिक चर्चा संभव नहीं हो सकती। यदि राजनीतिक दल नहीं होते, तो सभी उम्मीदवार स्वतंत्र होते, जिससे नीतिगत बदलाव की संभावना कम हो जाती। इसके अलावा, राजनीतिक दलों के माध्यम से ही सरकार को जनहित और नीतियों पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया जाता है।

राजनीतिक दलों की भूमिका

  • प्रतिनिधित्व: राजनीतिक दल समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • नीतियों का निर्माण: ये दल विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण करते हैं, जो समाज के विकास में सहायक होते हैं।
  • जनता की आवाज उठाना: दल उन मुद्दों को उठाते हैं जो जनता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार।

दलीय व्यवस्थाएँ

राजनीतिक दलों की विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाएँ होती हैं:

  1. एक दलीय व्यवस्था: केवल एक ही दल को सरकार बनाने की अनुमति होती है। उदाहरण: चीन, जहाँ कोई अन्य दल अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करवा सकता।
  2. द्विदलीय व्यवस्था: इस व्यवस्था में सत्ता आमतौर पर दो मुख्य दलों के बीच बदलती रहती है। उदाहरण: अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम, जहाँ डेमोक्रेट और रिपब्लिकन या कंजर्वेटिव और लेबर पार्टी मुख्य भूमिका में होते हैं।
  3. बहुदलीय व्यवस्था: जब कई दलों में राजनीतिक सत्ता पाने के लिए होड़ लगी रहती है और दो से अधिक पार्टियों के सत्ता हासिल करने की संभावना होती है, जैसे भारत में।

गठबंधन या मोर्चा

जब कई दल चुनाव में एक साथ आते हैं, तो इसे गठबंधन या मोर्चा कहते हैं। गठबंधन की सरकार तब बनती है जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता और कई दल मिलकर सरकार चलाते हैं।

गठबंधन की सरकार

गठबंधन की सरकार तब बनती है जब चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता। इस स्थिति में, कई दल मिलकर साझा कार्यक्रमों के तहत सरकार बनाते हैं।

भारतीय लोकतंत्र में गठबंधन की सरकारों की भूमिका

भारत में 1989 से लेकर 2014 तक कई गठबंधन सरकारें रही हैं। इन सरकारों ने यह सुनिश्चित किया कि क्षेत्रीय दलों की अनदेखी न हो और सभी क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया जाए। गठबंधन की सरकारों ने यह भी सुनिश्चित किया कि विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों की आवश्यकताएँ पूरी हों।


क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल

क्षेत्रीय दल

जब कोई दल राज्य विधानसभा में कुल मतों का 6% या उससे अधिक प्राप्त करता है और कम से कम 2 सीटों पर जीतता है, तो उसे क्षेत्रीय दल माना जाता है। क्षेत्रीय दल स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपने राज्य के विकास में योगदान करते हैं।

राष्ट्रीय दल

जब कोई दल लोकसभा चुनाव में कुल वोट का 6% प्राप्त करता है और कम से कम 4 सीटों पर जीतता है, तो उसे राष्ट्रीय दल माना जाता है। राष्ट्रीय दल विभिन्न राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों में अंतर

राष्ट्रीय दलक्षेत्रीय दल
सभी संघीय इकाइयों में मौजूदकिसी क्षेत्र विशेष में विद्यमान
लोकसभा में कम से कम 4 सीटेंराज्य विधानसभा में कम से कम 2 सीटें
कुल वोट का 6% प्राप्त करनाराज्य विधान सभा में 6% या अधिक प्राप्त करना

भारत में राजनीतिक दलों का इतिहास

आजादी के बाद के प्रारंभिक वर्षों में, कांग्रेस पार्टी ने भारतीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई। समय के साथ अन्य दलों ने भी अपनी पहचान बनाई, जैसे:

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: 1885 में स्थापित, यह पार्टी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के बाद, इसने कई वर्षों तक सरकार चलाई।
  2. भारतीय जनता पार्टी: 1980 में स्थापित, यह पार्टी 1998 में सत्ता में आई और 2004 तक शासन किया। 2014 में इसे फिर से बहुमत मिला।
  3. बहुजन समाज पार्टी: 1984 में स्थापित, यह दल दलितों, आदिवासियों, और ओबीसी के हितों की रक्षा करता है। यह दल उत्तर प्रदेश में काफी मजबूत है।
  4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी: 1925 में स्थापित, यह पार्टी मार्क्सवादी विचारधारा का पालन करती है और गरीबों तथा मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ती है।

राजनीतिक दलों के समक्ष चुनौतियाँ

राजनीतिक दलों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  1. वंशवाद की चुनौती: कई दलों में वंशवाद का प्रभाव होता है, जिससे नये नेताओं को अवसर नहीं मिल पाते।
  2. पारदर्शिता का अभाव: कई दलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी होती है।
  3. आंतरिक लोकतंत्र का अभाव: दलों में आंतरिक चुनावों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की कमी होती है।
  4. विकल्प की कमी: राजनीतिक दलों के बीच स्पष्ट वैकल्पिक विचारों की कमी होती है, जिससे मतदाता भ्रमित हो जाते हैं।
  5. आपराधिक तत्वों की धुसपैठ: कुछ दलों में आपराधिक तत्वों का हस्तक्षेप होता है, जिससे राजनीतिक प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

राजनीतिक दलों को सुधारने के उपाय

राजनीतिक दलों के सुधार के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

हाल के उठाए गए कदम

  • दल बदल विरोधी कानून: यह कानून दल बदलने वाले नेताओं पर अंक

ुश लगाता है।

  • शपथपत्र के माध्यम से जानकारी देना: उम्मीदवारों को अपनी संपत्ति और आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य किया गया है।
  • संगठनात्मक चुनाव कराना: दलों में नियमित रूप से आंतरिक चुनाव आयोजित करना अनिवार्य है।

भविष्य के लिए सुझाव

  • सदस्यों का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य: दलों को अपने सदस्यों का सही रिकॉर्ड रखना चाहिए।
  • महिलाओं के लिए रिजर्व सीटें: महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए आरक्षित सीटें होनी चाहिए।
  • चुनाव का खर्च सरकार उठाए: चुनावी खर्च को सरकार द्वारा उठाने से दलों पर वित्तीय दबाव कम होगा।

दल बदल और शपथपत्र

दल बदल

दल बदल का अर्थ है कि कोई प्रतिनिधि किसी दल से निर्वाचित होने के बाद उस दल को छोड़कर किसी अन्य दल में शामिल हो जाता है। यह प्रथा राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करती है।

शपथपत्र

शपथपत्र एक दस्तावेज है जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति और आपराधिक मामलों की जानकारी देने की आवश्यकता होती है। यह पारदर्शिता बढ़ाने का एक उपाय है।


राजनीतिक पक्षपात

राजनीतिक पक्षपात तब होता है जब कोई राजनीतिक दल समाज के किसी एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे उसके दृष्टिकोण में偏向 हो सकता है। यह विभिन्न समुदायों के बीच असमानता को बढ़ा सकता है और समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकता है।


निष्कर्ष

राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। ये दल न केवल चुनावी प्रक्रिया को संचालित करते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के हितों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। आज के जटिल समाज में राजनीतिक दलों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, और इन्हें सुधारने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। राजनीतिक दलों को अपनी नीतियों में पारदर्शिता और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

इस प्रकार, राजनीतिक दल केवल चुनावी संस्थाएँ नहीं हैं, बल्कि वे समाज के विकास और सुधार का महत्वपूर्ण माध्यम हैं। उनके कार्य और विचारधारा लोकतंत्र की वास्तविकता को परिभाषित करते हैं, और इसलिए इनकी भूमिका को समझना आवश्यक है।

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