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ए.के.झा जी की जीवनी || Biography of A. K. Jha || JSSC CGL Khortha Notes

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ए.के.झा जी की जीवनी

ए.के.झा जी का जीवन परिचय

नाम  – अजीत कुमार झा

जन्म – 20 जून 1939

मृत्यु – 9 सितंबर 2013

पिता – लक्ष्मी नारायण झा

माता – कुसुम बाला

पत्नी – भानुमति

उपनाम – झारपात

पता – चंडी पुर, बोकारो

शिक्षा :- •मैट्रिक पेटरवार उच्च विद्यालय

•  इंटर (विज्ञान)

•स्नातक (विज्ञान), संत कोलंबस महाविद्यालय,                       हजारीबाग

पेशा :- डॉ एके झा हाई  स्कूल में विज्ञान के शिक्षक थे। बाद में वह पतरातु थर्मल पावर स्टेशन मे स्टोर कीपर का काम करते थे और 30 जून 1999 को रिटायर हुएl  यह भाषा वैज्ञानिक के साथ-साथ मौसम वैज्ञानिक के रूप में भी जाने जाते थेl  इन्होंने मौसम से संबंधित ‘धरा – गगन सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया l

भाषा :– ऐसा माना जाता है कि झा जी को खोरठा के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, संताली, मुंडारी और सदानी परिवार के अन्य भाषा जनकपुरी पंचपरगनिया, करमाली आदि की भी जानकारी थीl

उपनाम:-  झार पात

            खोरठा घरेक मुन्धी खूंटा – यह उपाधि उन्हें  खोरठा साहित्यकार महेंद्र नाथ गोस्वामी ने दिया है l

ए.के.झा जी की जीवनी Khortha Notes BY Jharkhand Exam Prep
ए.के.झा जी की जीवनी

खोरठा में योगदान:-

13 अप्रैल 1982 ई• को झा जी ने खोरठा ढाकी क्षेत्रर कमेटी, कोठार (रामगढ़) की स्थापना कीl झांसी कोटा साहित्य संस्कृति परिषद बोकारो के भी निदेशक थेl  यह खोरठा की पत्रिका तितकी के संपादक थे, उन्होंने तितकी का संपादन 1983 से 1987 तक किया हैl

खोरठा  में उनके योगदान के कारण खोरठा साहित्यकारों ने 1975 से 2000 तक के काल को झा जी का काल भी कहा है

पहला खोरठा व्याकरण :-

“खोरठा साह सहित सदानिक व्याकरण” – जो खोरठा भाषा के पहले व्याकरण है जिसे  झा जी ने लिखाl

कृतियां:-

खोरठा काठे गईदेक खंडी – 1983 और 2014

खोरठा काठे पईदेक खंडी – 1984 और 2012

झारखंडी भाषा संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर विचार – 1986

खोरठा रस छंद अलंकार – 1987 और 2011

खोरठा सहित सदानिक व्याकरण – 1987 और 2010

खोरठा भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन – 2012

साइर सरगठ ( उपन्यास ) – 2011 और 2014

कविता पुराण बाल कविता संग्रह – 1995

मेकामेकि न मेटमात्ट  नाटक – 1991 और 2013 में

समाजेक् सर्जुइत निसईं ( प्रबंध काव्य) – 1987 और 2010

सह लेखन कृतियां:- 

दूह डाहर परास फुल –  2003

खोरठा लोक साहित्य  – 2012

खोरठा लोक कथा – 1987 और 2014

एक टोकी फूल (तितकी) – 1984 और 2012

दु डाहर जिरहुल फूल – 2010 और 2015

खोरठा गईद पइद संग्रह – 1989 और 2020

सम्मान:-

🏆 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने उन्हें “डॉक्टरेट मानक उपाधि “से सम्मानित कियाl

🏆 खोरठा रत्न

🏆 खोरठा सपूत

🏆 खोरठा आखरा रतन

🏆 कवि व्यथित सम्मान

🏆 निरंजन महतो ने एके झा के व्यक्तित्व पर PhD की है l

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