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रुसल भोला कविता (लेखक – श्री संतोष कुमार महतो) – एक पथिया डोंगल महुवा खोरठा कविता | JSSC CGL Khortha Notes

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रुसल भोला कविता (लेखक – श्री संतोष कुमार महतो) – एक पथिया डोंगल महुवा खोरठा कविता

रुसल भोला लेखक - श्री संतोष कुमार महतो पुस्तक - एक पथिया डोंगल महुआ Khortha Notes BY Jharkhand Exam Prep
रुसल भोला लेखक – श्री संतोष कुमार महतो

भावार्थ :

एक दिन मां दुर्गा रोने लगी, कि कैसे भगवान शिव उनसे  गुस्सा हो गए। लेकर अपना सभी समान भोला रुस कर किधर गए। 

सभी देव और देवी, दुर्गा से कहने लगे कि, आप कैसी सती है, जो कि अपने पति को संभाल नहीं सके।  समय रहते भीतर, भोला को भांग का गोला क्यों नहीं दिए, इसीलिए तो भोला आपसे रूठ गए हैं।

पार्वती कहने लगी परिवार का बोझा  बहुत ज्यादा है।  परिवार में बैलेंस रखना इतना भी आसान नहीं है।  यदि एक साथ दो जनों का वाहन छूट जाएगा, तब जरूर इनमे से एक का जान चला जाएगा।  

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सबसे पहले अपने संतानों को हमने नियंत्रित  किया।  फिर सोचा कि अब पति का मान रखा जाए, उसी समय गणेश जी का वाहन छूट गया, उसके पीछे -पीछे भोला बाबा का मालारूपी  शैतान (सांप ) भी दौड़ने लगा।

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चूहा को हमने कहा – भागो, भागो अपने घर भागो।  मरने का थोड़ा भी डर नहीं है क्या ?  मूसा भागकर अपना बिल बिल घुस गया।  भोलाक माला को कुछ नहीं  मिला।

अब जाकर थोड़ा आराम लगा, फिर सिलबट्टा (लोरही पाटी ) लेकर भांग पीसने लगे।  उसी टाइम पर कार्तिकेय का वाहन मोर ने झपट्टा मारा और भोला के नाग को पकड़ लिया।  

नाग को पकड़कर मोर पेड़ के ऊपर चड गया।  मेरे मन में बहुत डर और भय हो गया।  मोर ने  भोला के माला नाग के ऊपर अपने चोट से वार करने लगा।

फिर पार्वती ने पेड़ के ऊपर बैठे मोर को कुछ फेंक कर मारा तब जाकर निडर मोर  सांप छोड़ भागा।  समस्या गंभीर था, लेकिन अब थोड़ा आराम लगने लगा।

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फिर पार्वती ने दू तोला भांग लेकर उसका गोली बनाया।  फिर कवि  संतोष ने माता पार्वती को कहा कि अब भोला बाबा को बुलाइए और भांग कर गोली दे दीजिए।  

एक दिन कानदे लागला दुरगा मांय, 

कसे बाम भेला हामर भोला हाय हाय । 

लइके आपन माल झाल झोला, 

कन्दे रुइस गेला हामर भोला ।

देव देवी कहे लागलथीन तोहे कैसन सती ? 

समहरवे नाँइ पारलहे आपन पति । 

समये कहे नाँइ देलहाक भांगेक गोला 

सइ खातिर रुसलथुन तोहर भोला ।

पार्वती कहला हामर परिवारेक एते बोझा 

वेलेन्स राखा नहम एते सोझा । 

यदि छूटत एक संगे दु जनेक वाहन 

तवे जय तय जरूर एककेर जान ।

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बांधलों पहिले आपन संतान 

मेने करलो एवे राखब पतिक मान, 

एहे समय छुटलय गानसाक बाहन 

ताकरे पेछू दोडल भोलाकमाला सैतान

मूसा के कहलो भाग -भाग आपन घर 

मरेक कि नखो तोर तनिको डर ? 

मुसा ढूकल आपत गाढायँ । 

भोलाक माला गेल सिठाय ।

‘मने करलो एबे तनी सुसताइब 

पाटी लोरही लय भांग पिसवाइब 

एहे समय कालतीकेक वाहनेक बड़ी चेठा 

झपट मारलय भोलाक माला नाग जेटा.

उठावल ओकरा गाछेक उपर 

हामर मने भेल बड़ी डर 

भोलाक माला उपर मआरएलआलय चोंचा 

करे लागलय ओकरा खेचा – बुचा ।

मारलो फुकरइनेक लेवदा गाछेक उपर 

तबे पाराइल कारतीकेक वाहन निडर । 

हामर समसया भेल गम्भीर 

मन के करें लागलों थीर

भांग लेलो दू तोला तोवली 

बनावलो ओकर झटपट गोली । 

सन्तोष कहय  सुना माय पार्वती भोली, 

डाका भोलाक देहान गोली

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