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खोरठा व्याकरण लोकोक्तियाँ | खोरठा भाषा में कहावतें | JSSC CGL Khortha Notes

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अंधरी बोनें, बिलाइर बाघ – कमजोर लोगो के बीच थोड़ा ताकतवर लोगों का दबदबा।

अंधराक सुतल, अंधराक जागल – सब बराबर

अंधरा के काना राजा – कमजोर लोगो के बीच थोड़ा ताकतवर लोगों का दबदबा।

अधकिक नउवा, बांसेक नरहइनी – नवसिखुआ

अगहन मइहनाय, चुटरिक सात बिहा – अचानक बिना मेहनत के दौलत आने पर ऊटपटांग शौक पूरे करना।

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अरजे भगवायं, खाय धोतियायं – कमाई कोई और करता है और खर्च कोई और करता है।

अनारी जोते कनारी, सियान जोते बहियार – सीधे-साधे लोग हमेशा ठगे जाते हैं।

अढ़ाइ बुझे, डेढ़ नाय – ज़िद्दी लोग नहीं समझते हैं।

आध-आध कुंडी, महुआ गुंडी- कम मजदूर देने से काम भी कम होता है।

अनगरजुक बिहा, कनपटिएं सेंदुर – बिना मन से किया गया कोई काम।

अघाइल बोकली, पोठी तीता – इच्छा पूरी होने के बाद अच्छी चीज भी बुरी लगती है।

अजवाइर सूखे, गधा मेलान – फालतू का काम करना

Note:- मेलान का मतलब रात को पशु को चराने के लिए ले जाना

अजवाइर लोकेक, अजवाइर काम – बेकार आदमी का अनुपयोगी कार्य। (बेकार लोकेक बेकार काम)

अजवाइर बनिया फेइर फेइर तउले – बिना कामेक काम (बेमतलब का काम)

अघन सूखे फूलल गाल, फइर बहोरिया ओहे हाल – धन होने पर अहंकार करना, फिर वही पुराना हाल होना।

अइत कमियाक, भात नाइ – परिश्रम करने वाला ही अभाव में जीता है।

अघन मासें, आकाल नासे- सही परिस्थिति में विपत्ति का नाश हो जाता है।

अनकर चुका अनकर घी, पांडेक बापेक लागत की – दूसरे या मुफ्त की वस्तु अच्छा लगना

अनकर धने बिकरम राजा – दूसरों के भरोसे हवा हवाई बातें करना।

अनकर फिकिरे बुड़बक मोरे – परोपकारी को नुकसान होता है।

आधा माघे,  कंबल काँधे- जरूरत का सामान अपने साथ रखना।

अपने गेइल नय हाथ पाघा लेले गेइल – खुद बर्बाद होना साथ ही दूसरों को भी बर्बाद कर देना।

अपने बांझ तो परोसियों बांझ – अपने जैसा दूसरों को समझना।

आग खाओ की लुवती खाओ – घर में खाने के लिए अन्न न होना

आठ एकड़ जोतल खेत, आठो काठ नाइ छोड़ल सेठ – किसी का मेहनत किसी ओर व्यक्ति की लूट।

आरो मुड़री बेल तर – धोखा खाकर सावधान होना।

आम कर आम आर गुठलीक दाम – दोहरा लाभ

आपरूचि भोजन, पररूचि सिरिंगार – अपने रुचि का भोजन और दूसरे के रुचि का श्रृंगार अच्छा होता है।

आपन टांटि पर के दिया, आपने रहिहा जागि – अपनी चीज़ दूसरे को देकर खुद असुविधा में पड़ना।

आपन सोचो, परेक नाचो – सवारथी

आबट गरू, इंड़की खाइ – कामचोर व्यक्ति मुफ्तखोर होता है।

आपन गांवे कुकुर राजा- क्षेत्र विशेष पर अधिकार होना।

आवे आम चाहे जाय लेबदा – जिस काम में नुकसान का डर नहीं।

अंगरी धरइते बांइह धरा-  उंगली पकड़ तेरी बांह पकड़ लेना।

आगु नाथ न पेछु पगहा – बिना सहारा का।

आंधर गुरु, बहिर चेला, गुर मांगे तो देइ ढेला – अव्यवस्थित स्थिति

इ/ई

इंड़की बूले साड़, खइट मोरे बरद – बेकार घूम फिर कर डिंग मारनेवाले पर व्यंग्य।

इंगितेक भाखा के बुझे- इशारा की भाषा कौन समझता है?

ईंटा उटा करलही बेइस – व्यस्त रहना ही अच्छा होता है।

ईंटा सेटा कहा भार – बेकार की बात न बोलना

उ/ऊ

उठ छोंड़ी तोरे बिहा – आनन फानन में किसी को जिम्मेदारी सौंपना।

उपर बैगन चाक, चिकन बैगन काना-  मुंह से मीठापन अंदर से ईर्ष्या।

उपरे बइगन, चाक चिकन – दिखावटी

उसासल माटी, बिलारिन कोड़े – दूसरे द्वारा किया आखरी आधा काम को पूरा कर सारा श्रेय लेना।

उगल सुरुज डूइब जाइ – सब दिन एक बराबर नही रहता।

उघार गातें के देइ तेल – गरीबों को कोई नहीं पुछता।

पुढ़ल उपर नून छिटका – जले पर नमक छिड़कना

ए/ऐ

एक माघें जाड़ नाईं  भागे/सिराई – कृतघन व्यक्ति को दुबारा सहयोग नहीं मिलता।

खोरठा मुहावरा आहना

एगो के सुहो, एगो के दुहों – बराबर नजर नहीं

एके छुराक मुड़ाइल – एक रकमेक सभाव (एक सामान प्रकृति)

एगो जोलहाइ, हाट नाॖय –अकेला आदमी असंभव काम नहीं कर सकता।

अइसन बात बोल जे केउ ना कहे झूठ, अइसन ठावें बैइठ जे  केउ ना कहे उठ – अच्छे और इज्जत वाली काम करे।

एका पूता चुल्हे मूता/ एका पूता चुगा मूता-   – अधिक लाड प्यार मिलने से एकलौता बच्चा बिगड़ जाता है।

एक बेटी, तेलाइ पेटी –दुलरइती (दुलारी)

एक पुत्र बिरहसपइत –एकलउता मगुर गुनगर बेटा

एक डाइर हरतकी, आर गोटे गांव खोंखी – आवश्यकता आधिक और उपलब्धिया अत्यंत काम।

एगो हररेय गोटे गांव खोखी – बहुत मूल्यवान चीज़

एक मउगिए ठाकुर, दु मउगिए कुकुर – दो नावों में सवार

एक आँखि काजर एक आँखि खइरका – भेदभाव करना।

एक आँखि  काजर एक आँखि धुरा – बेइमान

ओहरिक काम दोहरी – कोई काम को अच्छी तरह से नहीं करने पर दुबारा करना पड़ता है।

ओखत गोते के देइ तेल – गरीबों को कोई नहीं पूछता।

ओर ना पुथान (गोड़ा) – जिसका ओर-छोर नहीं होना।

अं

अंधार घरे गांदर-गूंदर – अंधरे में हल्ला-गुल्ला करना।

अंधराक जइसन दिन तइसन राइत- समान रूप से।

करिया आखर भइंस बराइबर – अनपढ़

के कहे, के सुने, के पतिआय, हाथी के कउआ लेगल, जग पतिआय – चलती होने पर उसका कोर झुठ भी चल जाता है।

कखन जनमल सियार, कखन देखल बाइढ़- कम उम्र में ही अधिक की इच्छा

कायाक सुख, पेटेक दुख – गात के सुख देले दुख (शरीर को सुख देने से ही दुख होता है)

कहां राजा भोज कहां भजुआ तेली – राजा और रंक में तुलना नहीं हो सकती है।

कानाक डांग एके बेर हेरवे – कोई बार बार धोखा नहीं खाता।

काम नाय काज के, दुसमन अनाज के – बिना परिश्रम के खाना

कानी गायेक बाभन दान –  कोई भी वस्तु देकर देने का नियम पुरा करना ।

कानी गायेक भिनू बथान – दूसरी आदमी के अलग विचार।

कोदो दे किना – मुफ्त में

काम पियारा की चाम पियारा – कर्म की श्रेष्ठता।

काठ छिलले चिकन, बाद छिलले रूखड़ – बात बड़इले झगरा (बात बढ़ने से झगड़े की शुरुआत होती है)

काइलके बनिया आइज के सेठ – ठग कर जल्दी जल्दी धन जमा करना।

काड़ा गोतर, ठेंगा मंतर – लातों के भूत बातों से नहीं मानते।

काड़ा बिनु हार नाय – अनुभवी व्यक्तियों का महत्व है।

कुकुरेक पेटे घी नाय पचे – बात को छुपा न पाना।

कुकुरके माय, बिलाइर ना पूछे – एकदम सस्ता

कुकुर भुइकले की बदरि फाटे – कमजोर आदमी से मजबूत आदमी नहीं डरता है।

काँखे छउवा टोले ढिढोरा – पासेक चीज के अनते खोजेक (पास में स्थित चीज को दूर में ढूंढना)

खरखर मुंहा हांसल जाइ, गुमनमुहा सरबस खाइ- ज्यादा बोलने वाले से कम बोलने वाला ज्यादा खतरनाक होता है।

खाइट मोरे मुरगा, बिलाइर खाई अंडा – कोई करे मेहनत कोई ले लाभ।

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खटके तो चाबबे – मेहनइत करले खाय पावेक (खाने के लिए मेहनत करना पड़ेगा)

खाय ले खुदी नाञ पादे ले भुसा – सुखल फूटानी (शेखी बघारना)

खइट मरे मंगरूवा आर खाइ ढेकरें झगरूवा – करे कोई मेहनत और लाभ ले जाये कोई और।

खोजल गरू, खडकल हर,  ले बाछा चास कर- साजन के बिना किसी काम को शुरू करना।

खउ रे बेटा आइझ भइर, कुरइ मिलले देबउ फइर – कल के खाने का न होना।

खुरपिक बिहाय हसूआक गीत – अवसर कुछ ओर, किसी अन्य चीज की बात करना।

खिस खाइ कपार, राग खाइ संसार – क्रोधित होकर खुद की हानि।

खेत खाइ, माइर खाइ जोलहा – करे कोई ओर भरे कोई ओर।

खपरी की भुंजनाठि चिन्हें – स्थानानुसार वस्तु का नाश

खैरा खावा गरू, नांइ माने चेत- लोभी

गाछे कठर, होठें तेल – समय से पहले किसी चीज़ की लालसा करना।

गुड़ खायेक आर गुलगुला से परहेज – आधा अधूरा परहेज करना।

गइरबा मोरे बुइलते-चइलते, बड़का मोरे खूइन बोकलते – मेहनत कश का अरोगी होना

गांवेक टुअर आर बोनेक सुअर – उपेक्षित व्यक्ति

गाँवेक कनिआइ, सिघन चटि – निकट का महत्वपूर्ण व्यक्ति भी महत्वहीन होता है।

गइरबाक राग, पेंठी पोचे – गरीब अपना गुस्सा जाहिर नही कर पाता।

गुरा फूटले दुख बिसरे – काम हो जाने के बाद उपकार याद नहीं रहता

गेल फगुवाई, धुर खेल – उपयुक्त समय बीत जाने के बाद कार्य में तत्परता दिखाना।

गीदर ले झूनझूने भारी – निरर्थक वस्तु की श्रेष्ठता।

गाधाय पिये घिटइर के – बुद्धिहीन आदमी थोड़ी देर से समझता है।

गरू न लेरू बिहान ले सूते हरु – जिसकी कोई जिम्मेवारी नहीं वह बेफिक्र जीवन जीता है।

गोड़ नाय चले कयराक भार – क्षमता से अधिक काम करने की जिम्मेवारी लेना।

गांवेक जोगी जोगड़ा, आन गांव में सिध – करीबी आदमी को ज्यादा सम्मान नहीं मिलना/दूर की चीजें अच्छी लगती है।

गोइठा में घीव सुकावेक – अयोग्य पर खर्च करना

गइयो हाँ, बरदो हाँ- हाँ और ना दोनों सही

घरे नाई बाघा, सियारेक हुलमाइल – मालिक या मालकिन की अनुपस्थिति में मातहतों की मनमानी।

घरे भुंजी भांग नाइ, देहरी पर नाच – औकात से अधिक दिखावा करना।

घारेक मुरगी दाइल बराबइर – करीब के चीजों को ज्यादा महत्व नहीं मिलता है।

घरे भुंजी भांग नाँइ, मियाँ पादे चुरा – औकात से अधिक बोलना।

घारे बेटाक बिहा आर साढूक बरियात- आवश्यक कार्य को छोड़कर अनावश्यक कार्य करना।

घार घार देखा एके लेखा – घर घर की एक ही कहानी

घारेक ढेंकी कुम्हइर – अपने वस्तुओं का महत्व देना।

घरे भात तो बाहरहूँ भात – घर मे सम्मान पाने वाला बाहर भी सम्मान पाता है ।

घरेक मुरगी दाइल बराबर – पास की वस्तुओं को महत्व नहीं देना।

घमड़ल बदरी आर पन्हाइल दुध – तुरंत कार्य संपादित होने वाला है।

घर फूटे तो, गंवार लूटे – फूट से हानि

चिकन देहि, गुलगुल गात, कते दिन देतउ भात – शरीर को केवल सुंदर नही मेहनती बनाना चाहिये।

चलनिया दोस देइ सुपवा के जेकर में छेदे छेद – अपने दोष को छुपाना तथा दूसरे के दोष को दिखाना।

चले सादा निभे बाप-दादा- सादा जीवन उच्च विचार

चल बुली तो कांधेय झूली – मदद करने से सर पर चढ़ जाना

चडकल बदरी, बइरसे नाय – गरजने वाले बादल बरसते नहीं।

चोरिक धन, मदरी पइला – दूसरे के संपत्ति को हड़पना।

चोरिक धन, जोरिक पानी –गलत तरीके से कमाया हुआ धन खत्म हो जाता है।

चोरेक दाढ़ी खइटका – चोर की दाढ़ी में तिनका

चर गुने सकरकंदा – जैसा मूल वैसा फल

चरे गेली, चोंथाइ  भेली – लाभ की जगह नुकसान करना।

चुटरी गिरले राम राम – गरीबी की पराकाष्ठा।

चोरे सुने धरमेक कइहनी ? – पतित व्यक्ति के आगे नीति व आदर्श की बातें व्यर्थ होती है।

चोर के चालिस बुइध – चोर बेसी चालाक होवे हे (चोर बुद्धिमान होते हैं)

चासा चीन्हाइ आइरें, तांती चीन्हाइ पाइरें – काम की गुणवत्ता से काम करनेवाले की पहचान होती है।

चेका से डेरा हलो, तेतइर तर बास पइलों-  जिससे डर वही सिर पर सवार हो जाना।

जकर नून खाय, तकर गुन गाय – गुनगान करना

जनी-मरद राजी, कि करे गाँवेक पाजी – एक मत होना

छूछवा मारी, हाथ गंधाइ – छोटी लाभ के बदले बड़ी कीमत चुकाना।

छोट मुँह बड़ बात- सीमा से बेसी बोलेक (सीमा से ज्यादा बात करना)

छुछा के, के पूछा ?-  अभावग्रस्त व्यक्ति को कहीं महत्व नही।

छगरिक गोड़े तेल दिएक – अयोग्य का खुशामद करना।

छिटकल पानी बझवल बात –असत्य

जकर गहना तकरे साजे, आन लोकक ठेरका बाजे – हर काम सबके लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।

जान ना पछान, हाम तोर मेहमान – जबरदस्ती माइन खोजे के (जबरदस्ती महत्त्व ढूंढना)

जउ संग गहुम पिसाइ – दोसिक संगे निरदोसियोक साजा

जकर रोटी मल मल रोवे ,फकीर ठड्क ठइक खावे- परखउका

जकर खाय तकर गाय- खाइलकर गुन गावे – (जिसका खाओ उसका गुण गाओ)

जइसन हीराक चोर, तइसन खिराक चोर – सब चोर एक समान

जिओ-मरो काम आर एक पइला धान – काम ज्यादा और मजदूरी कम।

जंदे भोज तन्दे सोझ – हर वक़्त लाभ देखना।

जे करे पुइन, तकर ढीपा सूइन – जो धर्माडम्बर में पड़ता है, वह अन्ततः गरीब हो जाता है।

जनियाक अर्जन मरदाक नाम – उपार्जन में महिला की भूमिका को महत्व नही देने का विरोध।

जखन कनिआइक बिहा तखन जाइ पीपर बिछे – अत्यावश्यक कार्य छोड़ कर गौण कार्य करना।

जखन पाँड़े बाबा बनलें, तखने काम काँचा करले – जब जब जिम्मेवारी मिले, काम अधूरा करना।

जइ दिन जेठ चले पुरबइया, तइ दिन सावन धुर उड़इया – जितना दुख उतना सुख।

जीव गेलइ खसियाक आर खवइयाक सवादे नाईं – कड़ी मेहनत के बाद भी काम की तारीफ न होना।

जे करे पाप से सात छउवाक बाप – गलत काम करने वालो का जीवन कष्टमय होता है।

जाकर बांदर ओहे नचावे – अपनी वस्तु को अच्छी तरह से उपयोग में लाना।

जोगी के बरद बलाय – फालतू चीज

जकर चुवे से छाने –आपन काम आपने करेक

जइसन देस तइसन बेस – ठावेंक अनुसारे रहेक

जे रुचे, से पचे – रुचिक हिसाबे काम

झार गुने झींगा, धीया गुने पुता – मां बाप के संस्कारो का प्रभाव संतानो पर पड़ता है।

झुर हिलइले बाघ डेराय – कमजोर आदमी मजबूत आदमी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

झख माइर, गेलो हाइर – मेहनत का फल नहीमिलना।

झबरल गो चेारी टोना- समय के अनुसार वस्तु का महत्व

झरल पात, बुढ़ा गात- जीर्ण पत्ता और बुढ़ापा समान

टोना मांगलो, मिलल गोटा – आवश्कयता से अधिक मिलना।

टिटहिंगेक भरोसे सरग टेकाई – कम क्षमता वाले के भरोसे बड़ी जिम्मेदारी देना / पूरी तरह से अव्यवस्थीत।

टूटल गात, टुटल खाइट आर एक पतरी जूठा भात – गरीब को इज्जत कही नही मिलती।

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टटके रंधाइ , टटके खाइ-  किसी दो काम को तुरंत करना

टकाइत रानी कते पानी – धन का घमंडी

टसकलें दोरेक आस- संकल्प करना

ठोंगाइं पानी लघाइं घांस – अव्यवस्थित अर्थात उटपटांग प्रयास करना।

ठक बजारी कते दिन – ठगी ज्यादा दिन तक नहीं चल सकती है।

ठोंनगी माड़े की डाबइर जोताई – काफी कम परिश्रमिक से बड़ा काम नही होता।

ठक-ठेकाइ गेलो दिन, जिनगी भेलो छिन-भिन- समय का व्यर्थ गंवाना

ठंडूवाइल लोकेक भीख नांइ- आलसी को भोजन नहीं

डढ़ल घावे नून छिटका – अपमानित होने वाले का उपहास उड़ाना। (विपत्ति पे विपत्ति)

डढ़ल पेटे घाव –धोखेभाजी से सावधान

डोरा पोड़ल, पाक नांइ उधरल – रस्सी जल गई ऐंठन नहीं गई

डहर चल संग लगाय के, काम कर अंग लगाय के-नुकसान से बचेक

डाइनो छोड़े एक घर – निर्दइयो के दया आवे (निर्दयीको भी दया होता है)

डोरा पोड़ल, पाक नांइ उधरल- रस्सी जल गई ऐंठन नहीं गई

ढांक बजाइ काम कर, सोलह आनाक कथीक डर – अच्छे काम को छुपाकर करने की जरूरत नहीं।

ढाकेक आगु बेनी बाजा- बड़े लोगों के सामने छोटे लोगों की बात नहीं चलती।

ढोंढेक (बिछाक) मंतर नाय जाने आर नागे पर हाथ – छोटे कान की जानकारी ना होने के बावजूद बड़े काम पर आजमाइश करना।

ढकनिक पानी डुइब मोर, जदि लुइर नखो तोर – अकलमंद की महत्ता

ढोंड़ेक मंतर नांइ, आर खरीसें हाथ- अल्प ज्ञानी

ढेइर बोलवइया, काम नाञ – ज्यादा बोलने वाला काम करने में पीछे होता है।

तोरे सील तोरे लोढ़ा, भांगबउ तोरे दांतेक गोड़ा – जिसका साधन उसी को नुकसान पहुंचाना।

तेले सवाद तियन रंधनिहारेक नाम – किसी काम की सफलता का श्रेय गौण व्यक्ति को देने का विरोध।

तेलगर मुढ़ी तेल, रूखा मुड़े कोई नाई – धनी आदमी को ही धन मिलना।

तेलेक नांइ जाने हाल, सुधे घीवे केरे सवाल – डींग हाँकना

तलियाइल लोक, जइसन हवे होंक – गरीबों को चूसना

तेली कर तेल जरे आर मसालदारेक अंतर फाटे- दोसर कर खरच पर डाह करेक

तुरूत दान महाकलियान – जल्दी काम करना

तीनो तीरलोक देखेक – ढेइर दुख पावेक

तुरी मोरे आपन लुरी – आपन गुने नुकसान

थिर पानी पाथर काटे – धेर्य रखने वाला व्यक्ति आखिर सफल होता ही है।

थूके सातू सानेक – कंजूसी करना।

दस मिली करले काज, हारले जीतले नखे लाज – सामुहिक निर्णय से किये गए कार्य का परिणाम अच्छा ही होता है।

दिन भेले एल्हे-मेल्हे राइत भेले कोदो दर्रा – दिन के उचित समय में काम को न निबटा कर रात को करना।

दूरेक ढोल सुहान लागे- दुरेक जिनीस माइन होवे हे (दूर के आदमी महत्वपूर्ण लगते हैं)

देइले बरदा खरी खाइ नाय खोजे, पाछे जाई कोल्हू चाटे – ज्यादा खुशामद पसंद आदमी को आखिर में मांगने की नौबत आ जाती है।

देसी कुकुर बिलइती भासा- फुटानी देखवेक

दोने-दोने माड़ पासे, हिले कानेक सोना – कंजूसी करके अमीर बनना।

देखले जनिया पितियाइन सास – पहचान वाले व्यक्ति के साथ अपरिचित जैसा व्यवहार करना।

देस गुने भेस – उपयुक्त समय में काम करना।

दादाक भरोसे कतारी – दूसरे के भरोसे महत्वपूर्ण कार्य नही छोड़ना चाहिए।

दूसले चीज बसे – जिस चीज का तिरस्कार किया जाना वही समय पर काम आता है।

दस के लाठी एगोक बोझा – अनेक लोगो की जिम्मेवारी एक लोग द्वारा उठाना।

देखले छउड़ी समधिन – परिचित व्यक्ति

धन धरावे तीन नाम, बरजा, बरजू, बरजराम – धन दौलत के साथ मान सम्मान भी बढ़ जाता है।

धरले चोर नाय तो गगाइ मोर – पकड़े गए तो चोर नहीं तो ईमानदार व्यक्ति।

धरा-बांधा बीहा, मन सरधा सांधा – कोई काम जबरदस्ती करना।

धकर-पकर चोरेक जीउ-लोभी का मन

धोेज बोर कची कनिआइ – बेमेल विवाह

धरम करे से धक्का पावे – बेस कामे दुख होवे।

धोबिक गाधा, नाय घरेक, नाय घाटेक- धोबी का गधा ना घर का ना घाट का।

नेवतल कुटुम बाघ बराबर – आमंत्रित लोग सम्मान के बराबर होते है।

नरको में ठेला-ठेली – गलतो जगह धकामुकी

नावा जोलहा बेसी पियाज खाय – अधूरा ज्ञान वाले के ज्यादा नखरे

नामी बनियाक बात बिकाय – सामरथ कर सब सही (सामर्थ्यवान के लिए सब सही)

नावाँ मदारी होरहोरवा साँप – नवसिखूआ

नाम उचा काम बुचा – ऊंची दुकान फीके पकवान।

नरको में ठेला ठेली – तुच्छ लाभ के लिए भी होड़ मचाना।

नीकोड़ीया गेलक हाट, किया देखी हिया फाट – गरीब आदमी बाजार की महंगाई से हताश होता है।

निरधनिया धन देखी, दिने देखे तारा – छोटे लोग बहुत ही अहंकारी होते हैं।

निबराक मोउगी, सबके भोउजी- कमजोर को सभी परेशान करते हैं।

नाय मामा के काना मामा – जरूरत पड़ने पर कमजोर विकल्प भी चलता है।

नाम गहगह फेच राजा – ख्याति से विपरीत वास्तविकता होना।

नउवा सीखे गवारेक मुंडे – कमजोर से काम सीखेक

पोसले कुकुर कटाहा – जिसे सबकुछ मना वही धोखेबाज निकला।

पुख पुनरबस बुना धान, माघा असलेसा कादो सान, पुरबा रोपे पूरा किसान, तेरह खखरी तीन धान – काम समय पर किया जाना चाहिए वरना नुकसान होती है।

पेट भेल भारी तो ककर बापेक धारी – आराम के समय कोई काम नही करना।

पिंधेकर सादा, ओढेकर सादा, जे निभे बाप दादा – सादा जीवन और उच्च विचार

पानी पीटले कि दूर हवे – अपनो से संबंध विच्छेद स्थायी नही होता।

पानी भरे से पियासे नाय मोरे – जो दूसरों की भलाई करता है उसका बुरा नहीं होती है।

पीठे मारी, गाले चूमा – विश्वासघात करना (मुंह में राम बगल में छुरी)

पीठेक भाइ गंइठेक सोना – सगा भाई बहुत महत्वपूर्ण होता है।

परदेसिक संग आर हरदीक रंग – परदेसी से दोस्ती टिकाऊ नही होती।

पांडे गेला घर, हिंदे-हुँदै हइर – चरवाहा के जाते ही बैल का इधर उधर भाग जाना।

पइरकल बभना घुइर घुइर आंगना – लालच बुरी बला है।

पोहनो चिन्हे बिहिनेक धान- महत्वपूर्ण व्यक्ति का स्वागत करना अनिवार्य है।

पथर तारक हाथ, रसे -रसे झाँक – मुसीबत में धैर्य रखना चाहिए।

परेक पेछउरी लेल हिछउरी – दोसर के धने नाञ रहेक चाही (दूसरे के धन से नहीं जीना चाहिए)

पेट कुहकुह माथाञ पूफल- सुखल फूटानी / ढढ़नच

पानिय रहइके ने के मगर से बइर – मजबूत लोगों से दुश्मनी

पेटे परल खुदी,  तब आवे बुधि – पेट भरले बुधि आवे (पेट भरने से बुद्धि आता है)

पांचों अंगूरी घीव में –लाभ ही लाभ

पाँचों अंगरी बराबर नाञ – सोब  एक बराबर नाय होवे हे।

पिठे माइर मुंहे चूमा – फुसलावेक (फुसलाना)

फाटल दुधें की जोरन लेइ – विशवास टूट जाने के बाद दोबारा नही बनता।

फुचकल मछली बोड़ हवे – जो चीज़ हासिल ना हो सके वह बड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

फार के ना हार के, लागे तो बरदा के – किसी के द्वारा ख़र्च हो पर असर उपार्जक पर ही पड़ता है।

फोकट लाल गिरधारी, लोटा ना थारी- गरीब लोक (अभावग्रस्त लोग)

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फतेह जातरा आर कि बातरा – शुभ काम के लिए  मुहूर्त नही।

फझइतें बखरी बेड़ाइ – घर की फूट

बेल पाकले कउआक बापेक की ? – जो चीज़ पहुँच से बाहर हो, उसकी इच्छा व्यर्थ है।

भूख रहलें छुछ की, नींद रहले खरन की ? – काफी जरूरत के समय जो मिल जाय वही अच्छा।

बांस बोनें बांसे जनमे – मा बाप के गुण संस्कार का असर बच्चों पर जरूर पड़ता है।

बोड़ बोड़ हाथी/दादा बोहाइ गेला गधाइं कहे कते पानी – बलवान या बुद्धिमान जिस कार्य को न कर सके उसे किसी कमजोर द्वारा करने का हिम्मत करना।

बाप कहलें कि बनिये गुर देइत – आलसी के लिए कुछ भी नहीं

बांस बोनें बांसे जनमे – मा बाप के गुण संस्कार का असर बच्चों पर जरूर पड़ता है।

बारह राजपूत तेरह चूल्हा – विभिन्न मत।

बइसी खइले नदीक बालुओं व कम पड़े – बिना आमदनी के अनावश्यक ख़र्च उचित नही।

बिहा गेले झामड़े नाच – समय बीतने के बाद कुछ भी अच्छा नही होता।

बापे पूत – वंश का प्रभाव पड़ना।

बूढ़ा बिना घार नाय, काढ़ा बिनु हार नाय – अनुभव के बिना कोई काम अच्छा नहीं हो सकता।

बाघेक अगुआ फेकाइर – आनेवाली विपत्ती की सूचना

बूढ़ कउआ पोस नाय माने – बोड लोग बाइत नाय माने (बड़े लोग आज्ञा नहीं मानते)

बाभन नाचे गोवार देखे – छोटे व्याक्ति द्वारा बड़े व्यक्ति का मजा लेना।

बाभनेक खेती, सबइ के जोती – सब के उपयोग की वस्तु

भतरो मीठ, बेटवो मीठ – दोनो पक्ष में रहना।

भकइच मोरे बाप, बेटा करे बिरताप – बाप काम कर कर के परेशान रहना और बेटे का आवारागिरी करना।

भेडि की जाने पउरांक मरम – अच्छी चीज़ का महत्व हर कोई नही समझता।

भोजेक पहर कोहड़ा रोपा – आग लगने पर कुआं खोदना।

भाइ-भाइ, ठाएँ -ठाएँ –भाए भाए झगरा होवेक (भाई भाई में झगड़ा होना)

भरल भादो, सुखल जेठ –साब दिन एके नियर (सब दिन एक बराबर)

भागल भूतेक लंगोटी भल – नाय से थोरे ठीक (नहीं से कुछ अच्छा)

माछी खोजे घाव, बादी (मुइद) खोजे दाव – दुश्मन या विरोधी मौके की ताक में रहते है।

मरद आर बरद एकसामान – पुरुष और बैल दोनों एक समान मेहनती होते हैं।

मने मने गुर-चिरा खाइक – मन में लड्डू फूटना

मन बाँटे से चाटे – सोचा पूरा नाम हेवेक है (सोचने से काम पूरा नहीं होता है)

मंगनिक चंदन लगावे रघुनंदन – मुफ्त के चीजों का उपयोग करना।

मंगनीक बरदेक दाँत नाञ देखल जाय – बिना दामेक चीज

मडुआक दामे/भावे – बिल्कुल सस्ता

मूरगि ले बेइसी मुरगिक पुदकाइए – मुख्य कार्य से अधिक अनुषंगी कार्य मे व्यय।

मुरगा नाय बांगले की बिहान नाई हवे – किसी एक के बिना कोई काम नही रुकता।

मुरदारेक चुइल चॉथले की हलुक होवे – दुखीक दुख नाञ घटे (दुखी का दुख नहीं घटना)

माँय रहइते की मोसी ले कांदे – अपनी उपयुक्त वस्तु नही रहने पर से ही कोई दूसरे से मांगता है।

मरले बइद बेचले गहकिया – समय पर काम का न होना।

मोरले बइद, बिकले गहकी- जे काइज़ बहरेल के बाद आवे ( जो काम हो जाने के बाद ही आते हैं)

मंगनिक चीज चेको सवाद – मुफ्त की चीजें जैसी भी हो अच्छी होती है।

माय देखे पोटा, जनी देखे मोटा – एक ही इंसान के दो रूप।

माघेक जाड़ बाघ नीयर – माघे बेसी जाड लागे

मुँहे गुर पीठे छूर – धोखेबाज

रइन के पाछु भोज के आगू – काम के समय पीछे लाभ ले समय पीछे रहना।

रिन कइर के काने सोना – कर्ज लेकर शौक पूरा करना।

राजा संग साझा आर माहतो संग कछइरी – अन्यायी /धनी व्यक्तियो से साझेदारी हानि कारक होती है।

राजाक पान घटे तो घटे एकर नाञ घटे एकर  नाय घटे – कोन्हो जिनिसेक कमी  नाय हेवेक चाही

राजा गइल घार जन्दे तन्दे हार- मालिक नाञ रहले काम बैडाइ (मालिक नहीं रहने पर काम नहीं होता है)

राजा के मोतियाक दुख- सभी के कुछू न कुछु दिख हे (हर व्यक्ति को कुछ ना कुछ दुख है।)

लाइघर गायेक लाइतो सवाद – जिससे लाभ हो उसके नखरे भी बुरे नही लगते।

लहक चहक चाइर दिन – किसी कार्य मे प्रारंभीक उत्साह के बाद उदासीनता का अंदेशा।

लागल झुमइरें, मांदइर फांक – कार्यक्रम के चरम चरण में व्यवधान।

लघें घास, ठोंगे पानी – बेमन से कोई काम करना।

लंबा टीका मधुरे बानी, दगाबाजेक एहे निसानी – मीठे बात करने वाले लोग अक्सर धोखेबाज होते हैं।

लंगट बेस, झंझट नाञ – झंझट से गरीबी अच्छी

लिलियावल कुकुर सिकार नाय करे – उकसावले काइज नाय होवे  (उत्तेजित होने से काम नहीं होता है)

लकर-पकर डाइर, बाडे नाइ पाइर – लत वाले पौधे

लगन धरइलें, बीहा नांइ – कार्य सफल होने की सुनिश्चितता नहीं

सरग गेले की बोड़ो पइला – दूर की चीजें अच्छी होती है ।

सब धन बाइस पसेरि – छोट-बोड सब बराइबर

सइ परासेक तीने पात – घूम फिर कर पुरानी दशा में ही लौटना।

सांगी/ढेइर भेड़ि पोकाई मोरे – बिना काम के लोगो की भीड़ परेशानी का कारण होता है।

ससता रोवे बार बार, महंगा रोवे एक बार – सस्ते वस्तुओं से परेशानी होती है।

सांगी थारी झनझनाइबे करे – कम ज्ञान वाले का ज्यादा उपदेश देना।

सोझा के बोझा – सीध के ढेइर काम दियेक (सीधा व्यक्ति से ज्यादा काम करवाना)

सुअइरेक लेढ़ लीपे न पोते – बेकार जिनिस (बेकार की वस्तु)

सियानेक गू तीन ठिन – अधिक चालाकी के चक्कर मे मुसीबत में पड़ना।

सो चोट सोनार के एक चोट लोहार के – सब बातेक एक बात

सुमेक धन सइताने खाइ – कंजूस की संपत्ति ठगी में जाती है।

सांझेक पहुना आर सांझेक पानी दुइयो नाय जाय – शाम को आने वाला अतिथि और शाम का आने वाला पानी दोनों जल्दी वापस नहीं जाता।

साँपों माराय आर लाठियो, नाञ टूटे- आसानी से काम होवेक।

हाथेक पातेक सबे गेल – हर तरह से नुकसान होना।

हम रहबो तोर आसे, तोंइ अइबे माघ मासे- व्यर्थ इंतजार

हार गरुक ठेकान नाईं चास करेक चाड़ – साधन के बिना काम करने के हड़बड़ी।

हरिन सिंघे की माछी बइसे – चालक चतुर आदमी के आगे किसी दूसरे की चालाकी नही चलती।

हंसुओ चीन्हे की मरांडा – कानून सबके लिए बराबर है।

हाव ढाव करे बड़हनियां, फुइक मार पीए कमहरनियाँ – मेहनत कोई और करता है , फल किसी और को मिलता है।

हरदिक रंग, विदेसिक संग – परदेसियों का साथ कुछ समय के लिए होता है।

हुरसाक पिंधना ढिढ़ाक उपर – फूटानी

हारे तो हुर, जीते तो थूर – सोब दिके परेसान करेक (हर तरह से परेशान करना)

हाथ कंगन के आरसी का – पक्का सबूत (प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं)

 

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