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काल खोरठा व्याकरण | JSSC CGL Khortha Notes

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काल खोरठा व्याकरण

काल (समय, TENSE)

काल की परिभाषा:– क्रिया के जिस रूप से कार्य होने का समय ज्ञात हो, वह काल कहलाता है।

काल खोरठा व्याकरण Khortha Notes BY Jharkhand Exam Prep
काल खोरठा व्याकरण

काल के तीन भेद होते हैं

(1) वर्तमान काल

(2) भूत काल

(3) भविष्यत् काल।

1. वर्तमान काल :-

  • उपस्थित समय को वर्तमान काल कहते हैं। इस काल से चल रहे समय का बोध होता है।

खोरठा में उदाहरण :

1. हाम भोरे घुरे ले जा ही। (मैं प्रातः काल घूमने जाता हूँ।)

 2. चिरंइ गुला सरगे उइड़ रहल हथा (पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं।)

3. ऊ सोब घर जाइ रहल हथ। (वे लोग घर जा रहे हैं।)

4. मास्टर हामनीक पढाइ रहल हथ। (अध्यापक हमें पढ़ा रहे हैं।)

         इन कियाओं से चल रहे समय का बोध होता है।)

खोरठा वर्तमान काल के तीन भेद होते हैं:

1. सामान्य वर्तमान काल

2. अपूर्ण वर्तमान काल

3. संदिग्ध वर्तमान काल

1. सामान्य वर्तमान काल (Present Indefinite Tense)

  • वर्तमान काल के साधारण रूप को सामान्य वर्तमान काल कहा जाता है।

जैसे:

(i) मोहन पढ़ऽ हइ – मोहन पढ़ता है।

(ii) सीता दोहा इयाद करऽ हइ – सीता कविता याद करती है

खोरठा में उदाहरण:सामान्य वर्तमान काल (Present Indefinite Tense)

हिन्दी में

खोरठा में

मैं जाता हूँ।

हाम जा ही।

हमलोग पढ़ते हैं।

हमीन पढ़ऽ ही।

वह खाता है।

ऊ खा हइ।

वह गाता है।

ऊ गावऽ हइ।

वे लोग दौड़ते हैं।

ऊ सोब दउरे हथ।

बच्चे खेलते हैं।

छउवइन खेलऽ हथ।

सूर्य पूरब में उगता है।

बेरा पूरबे उगे हे ।

वह सुबह में टहलता है।

ऊ बिहाने घुरे हे।

बच्चे प्रार्थना करते है

छउवईन  विनती करऽ हथीन

2. अपूर्ण वर्तमान काल (Present Continous/Present Impefect)

  •  जो क्रिया अभी हो रही हो, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।

जैसे:

(i) बदरी गरइज रहल हे। (बादल गरज रहा है।)

(ii) मांय खाइक पकाइ रहल हथ। (माँ भोजन बना रही है।)

इन वाक्यों की क्रियाओं से पता चलता है कि गरजने और खाना बनाने की क्रियाएँ अभी चल रही हैं। अतः ये अपूर्ण वर्तमान हैं।

खोरठा में उदारहण:

हिन्दी में

खोरठा में

तुम क्या खा रहे हो?

तोंइ कि खाइ रहल हे?

मैं चावल खा रहा हूँ।

हाम भात खाइ रहल ही।

वे लोग क्या कर रहें हैं?

ऊ सोब की कइर रहल हथीन?

माँ, तुम क्या कर रही हो?

मांय, तोहे की कइर रहल हा?

3. संदिग्ध वर्तमान काल (Doubtful Present) –

  • जिस क्रिया के द्वारा वर्तमान काल के होने या करने में संदेह का बोध हो उसे संदिग्ध वर्तमान कहा जाता है।

जैसे

(i) वह आता होगा – ऊ आइ रहल होतोऽ।

(ii) इस समय विद्यालय बंद होगा – अखन इसकूल बंद होतोऽ।

खोरठा में उदाहरण:

हिन्दी में

खोरठा में

राम गा रहा होगा।

राम गाय रहल होतोऽ।

कार्यालय नहीं खुला होगा।

ऑपीस नाइ खुजल होतोऽ।

सोहन लिखता होगा।

सोहन लिखइत होतोऽ।

2. भूत काल (Past tense)

  • क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य पूरा हो चुका है, उसे भूत काल कहते हैं।

जैसे-

वह गया (ऊ गेलो)।

यहाँ स्पष्ट है कि जाने कार्य पूरा हो चुका है। अतः ‘गया’ भुतकाल की क्रिया है।

भूत काल के छः भेद होते हैं

(i) सामान्य भूत

(ii) आसन्न भूत

(iii) अपूर्ण भूत

(iv) पूर्ण भूत

(vi) संदिग्ध भूत

(vi) हेतुहेतुमद् भूत

( i) सामान्य भूत काल

जहाँ क्रिया के रूप से कार्य के पूरे हो जाने का साधारण ढंगसे बोध हो।

जैसे-

माँ ने बच्चे को दूध पिलाया।

दूध पिलाने का काम पूरा होने का बोध साधारण ढंग से होने के कारण यह सामान्य भूत है।

जैसे-

  • राम अइलो। – राम आया।

  • हाम भात खइली।- मैंने खाना खाया।

  • ऊ गीत सुनइलइ।- उसने गीत सुनाया।

  • ऊ भात खइलइ।- उसने खाना खाया।

  • ऊ गेलो।- वह गया।

  • राम पइढ़ के उठलो। – राम पढ़कर उठा।

  •  गीदर गुला नेहाइ के अइलथुन।- बच्चे स्नान करके आये।

आसन्न भूत काल (Recent Past)

  • क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि क्रिया कुछ समय पूर्व खत्म हुआ है, उसे आसन्न भूत कहा जाता है।

जैसे-

राम अभी आया है।

यहाँ ‘अभी आया’ से पता चलता है। क्रिया कुछ समय पूर्व खत्म हुई है। अतः यह आसन्न भूत है।

दुकान खुल गयी है। – दोकान खुइज गेले हे।

मैं बस से आयी हूँ। – हाम गाड़ी ले आइल ही।

वह अभी-अभी गया है। – ऊ अखने गेल हे।

मोहन आया है।- मोहन आइल है।

पूर्ण भूत काल:

  • जो क्रिया बहुत पहले समाप्त या पूर्ण हो चुकी हो, वह पूर्ण भूत कहलाती है।

जैसे-

(1) राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे।

(2) राम ने रावण को मारा था।

यहाँ क्रिया ‘खाऐ थे’, ‘मारा था’ से पता चलता है कि कार्य बहुत पहले पूर्ण हो चुका है। अतः ये क्रियाएँ पूर्ण भूत हैं।

खोरठा भाषा में ऐसे वाक्यों का प्रयोग निम्न रूप से होता है

  • वे लोग हमारे घर आए थे। – ऊ सोब हमनीक घर आइल हलथा

  • राम ने रावण को मारा था। – राम रावन के मारले हलथा ।

  • मेरे आने के पहले सोहन सो चुका था। -हमर आवलेक आगु सोहन सुइत गेल हलइ।

  • मैं एक सप्ताह पूर्व पटना गया था। – हाम एक हपता आग पटना गेले हली

(iv) अपूर्ण भत काल:- जहाँ भूत काल की क्रिया अभी समाप्त न हुई हो, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं।

जैसे-

(1) वह पढ़ रहा था।

(2) वर्षा हो रही थी।

इन वाक्यों में. ‘पढ़ रहा था’ तथा ‘हो रही थी’ से पता चलता है कि कार्य बीते समय में कार्य शुरू हुआ, परन्तु अभी तक समाप्त नहीं हुआ। अतः ये अपूर्ण भूतकाल के उदाहरण हैं।

खोरठा भाषा में ऐसे वाक्यों का प्रयोग निम्न रूप से होता है

  • ऊ पइढ़ रहल हलइ। – वह पढ़ रहा था।

  • बइरखा भइ रहल हलइ। – वर्षा हो रही थी।

  • मास्टर जाइ रहल हलथ। – शिक्षक जा रहे थे।

  • बाबा खाइ रहल हलथ। – पिता जी खा रहे थे।

  • हाम चिट्ठी लिख रहल हली। – मैं पत्र लिख रहा था।

  • जनी गुला धान रोइप रहल हलथीन। – स्त्रिीयाँ धान रोप रहीं थी।

(v) संदिग्ध भूत काल (Doubtful Past tense):

  • जहाँ भूतकाल की क्रिया में संदेह हो अर्थात् पता न चले कि कार्य भूतकाल में पूरा हुआ या नहीं, वे संदिग्ध भूत कहलाती हैं।

जैसे:

(1) रीता ने चित्र बनाया होगा।

(2) तुम्हें मेरा पत्र मिल गया होगा।

इन वाक्यों में बनाया होगा’ तथा ‘मिल गया होगा’ से यह पता नहीं चलता है कि पत्र मिलने का या चित्र बनाने का काम भूतकाल में पूरा हुआ या नहीं, अतः ये संदिग्ध भूत के उदाहरण हैं।

खोरठा भाषा में ऐसे वाक्यों का प्रयोग निम्नरूप से होता है:

  • रीता चीतर बनवले होतोऽ। – रीता ने चित्र बनाया होगा।

  • तोरा हमर चिट्ठी भेंटाइ गेल होतोऽ। – तुम्हें मेरा पत्र मिल गया होगा।

(vi) हेतु-हेतुमद् भूत (Conditional Past):-

  • जहाँ भूतकाल की एक क्रिया दूसरे पर निर्भर हो, उसे हेतु-हेतु मद् भूत कहा जाता है।

जैसे:-

(1) तुम पढ़ते तो पास हो जाते।

(2) वर्षा होती तो फसल भी अच्छी होती।

इन वाक्यों से स्पष्ट होता है कि ‘पढ़ने’ और ‘पास हो जाने’ तथा ‘वर्षा होने’ और फसल अच्छी होने की क्रियाएँ एक दूसरे पर निर्भर हैं।

खारेठा भाषा में ऐसे वाक्यों का प्रयोग निम्नरूप से होता है

  • ऊ पढ़तलइ तो पास भइ जितलइ। – वह पढ़ता तो पास हो जाता।

  • बइरखा भेतलइ तो चासा बेस भेतलइ। – वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।

  • छाता भेले हाम नाइ भिंजतलइ। – छाता होती तो हम नहीं भीगते।

3. भविष्यत् काल (Future tense)

  • भविष्यत् काल-क्रिया के भविष्य में किए जाने या होने का भाव प्रकार हो तो उसे भिविष्यत काल कहते हैं।

जैसे-

मीना खाना खाएगी ।

खाने का का कार्य भविष्य में होना है, अतः यह क्रिया भविष्यत का की है।

खोरठा में भविष्यत काल के दो भेद होते हैं

(1) सामान्य भविष्यत्

  •  जिस क्रिया से ज्ञात हो कि कार्य अभी होगा, उसे सामान्य भविष्यत् कहते हैं।

जैसे-

मैं पत्र लिखूगा।

वह घर जायेगा

  •  हाम चिटठी लिखबइ। – मैं पत्र लिखूगा।

  • ऊ घर जितइ।- वह घर जायेगा।

  • राम गीत गइतइ।- राम गाना गायेगा।

(ii) संभाव्य भविष्यत् (Doubt ful future):- क्रिया के जिस रूप से ज्ञात हो कि भविष्य में होने वाला कार्य पूर्ण रूप से निश्चित नहीं है अपितु होने की संभावना है, उसे संमाव्य भविष्यत् कहते हैं।

जैसे

(1) संभवतः कल वर्षा होगी।

(2) शायद कल उसका पत्र आयेगा।

खोरठा भाषा में ऐसे वाक्यों का प्रयोग निम्न रूप से होता है:

  • काइल बइरखा भेवे पारे। – संभवत: कल वर्षा होगी।

  • काइल ओकर चिठी आवे पारे। – शायद कल उसका पत्र आयेगा।

  • होइ सके हे ऊ फेल होइ जितइ। – संभवत वह अनुतीर्ण हो जायेगा।

  • होइ सके हे ऊ मइर जीतइ। – शायद वह  मर जायेगा।

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