झारखंड का नया राजकीय चिन्ह 15 अगस्त 2020 को झारखंड की हेमन्त सोरेन सरकार ने जारी किया था। इस चिन्ह में झारखण्ड राज्य की जनजातीय स्वरुप का विशेष ध्यान रखा गया है।
इस चिन्ह के मध्य में अशोक स्तम्भ को दर्शाया गया है। इसके बाद पहली पंक्ति में झारखण्ड के आदिवासियों को उनके सांस्कृतिक वाद्य यंत्रो के साथ नाचते गाते दर्शाया गया है। दूसरी पंक्ति में राजकीय पुष्प टेसू के फूल दर्शाए गए हैं और तीसरी एवं अंतिम पंक्ति में राजकीय पशु हाथी को दर्शाया गया है।
इस चिन्ह का अर्थ निम्नलिखित है:
- अशोक स्तम्भ: यह भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है।
- आदिवासी लोग: झारखंड की जनजातीय विरासत का प्रतीक है।
- टेसू के फूल: झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है।
- हाथी: झारखंड की समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है।
झारखंड का नया राजकीय चिन्ह राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संसाधनों और विकास की आकांक्षाओं को दर्शाता है।
झारखंड राज्य का पुराना LOGO
- झारखंड के पुराने राजकीय चिन्ह में चार J (अंग्रेजी वर्ण) के बीच अशोक चक्र दर्शाया गया था। राजकीय चिन्ह में J का रंग हरा तथा अषोक चक्र का रंग नीला था।
- झारखंड के नए राजकीय चिन्ह को प्रतिष्ठित ग्राफिक डिजाइनर अमित पांडे ने डिजाइन किया है।
झारखंड का पुराना राजकीय चिन्ह 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य के गठन के साथ ही अपनाया गया था। इस चिन्ह में चार J (अंग्रेजी वर्ण) के बीच अशोक चक्र दर्शाया गया था। राजकीय चिन्ह में J का रंग हरा तथा अषोक चक्र का रंग नीला था।
इस चिन्ह को झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने डिजाइन किया था। इस चिन्ह का उद्देश्य झारखंड राज्य की नई पहचान को स्थापित करना था।
झारखंड के पुराने राजकीय चिन्ह का अर्थ निम्नलिखित है:
- चार J: झारखंड के चार प्रमुख आदिम जनजातियों, मुंडा, खड़िया, हो और संथाल का प्रतीक है।
- अशोक चक्र: भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है।
झारखंड के पुराने राजकीय चिन्ह को कई लोगों ने आलोचना का सामना करना पड़ा था। आलोचकों का कहना था कि यह चिन्ह झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक संसाधनों को दर्शाने में विफल रहा है। इसी आलोचना के कारण झारखंड सरकार ने 2020 में एक नए राजकीय चिन्ह को अपनाया।