श्रीनिवास पानुरी जी की जीवनी – श्रीनिवास पानुरी का जन्म 25 दिसंबर 1920 में धनबाद जिला के बरवाअड्डा (कल्याणपुर) में हुआ था। इनके पिता का नाम शालिग्राम पानुरी और माता का नाम दुखनी देवी है। इनके पत्नी का नाम मूर्ति देवी था। इनकी मृत्यु 7 October 1986 में हृदयगति रुक जाने के कारण हुई।
पानुरी जी की पढ़ाई मैट्रिक तक की पढ़ाई हुई थी। 1939 में इन्होंने मैट्रिक पास किये। गरीबी के कारण इन्हें पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी। उसके बाद ये पान गुमटी खोल कर अपना जीवन निर्वाह करते रहे। लेकिन इन्होंने अपनी लेखन-कला को नही छोड़ा। खोरठा-लेखन को उस जमाने मे ज्यादा महत्व नही दिया जाता था। लोग इनका मजाक बनाया करते थे। लेकिन इनकी लेखन कला से प्रभावित होकर हिंदी साहित्य के बड़े साहित्यकारों का समर्थन मिला जैसे:- राहुल सांकृत्यायन, वीर भारत तलवार, राधाकृष्ण, श्याम नारायण पांडेय, शिवपूजन सहाय, भवानी प्रसाद मिश्र, जानकी वल्लभ शास्त्री।
पानुरी जी की रचनाएँ
इनकी पहली रचना “बाल किरन” नामक कविता संग्रह 1954 में प्रकाशित हुई। 1957 में इन्होंने खोरठा भाषा के मासिक पत्रिका “मातृभाषा” का प्रकाशन किया। इस पत्रिका में टैगलाइन होता था ” आपन भाषा सहज सुंदर, बुझे गीदर बुझे बांदर” 1957 में ही राँची आकाशवाणी से इनकी कविता प्रकाशित हुई। इसके बाद इन्होंने खोरठा और तितकी (कविता-संग्रह) नामक पत्रिका का प्रकाशन किया।
1968 ई में पानुरी जी ने कालिदास रचित “मेघदूतम” का अनुवाद खोरठा में मेघदूत शीर्षक से किया। मेघदूत का खोरठा में अनुवाद करने पर उस समय के झारखंड के प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार राधाकृष्ण ने “आदिवासी” पत्रिका में पानुरी जी के तारीफ में एक निबंध लिखा। वीर भारत तलवार ने मेघदूत के बारे में कहा- मेघदूत पढ़कर जरा सा भी ऐसा नही लगा कि यह किसी अन्य भाषा की कहानी है, ये तो पानुरी जी के गाँव की कहानी लगती है।
पानुरी जी ने कार्ल मार्क्स द्वारा रचित “कम्युनिस्टों मैनिफेस्टो” का खोरठा में काव्यानुवाद “युगेक गीता” नामक शीर्षक से किया।
पानुरी जी की प्रकाशित रचनाएँ
1) उद्भासल करन (नाटक)
2) आँखिक गीत (कविता-संग्रह)
3) रामकथामृत (खंडकाव्य, 1970)
4) मधुक देशे (प्रणय गीत)
5) मालाक फूल (कविता संग्रह)
6) दिव्य ज्योति (काव्य)
7) चाबी काठी (नाटक)
8) झींगा फूल
9) किसान (कविता)
10) कुसमी (कहानी)
पानुरी जी के अप्रकाशित रचना
आर्थिक अभाव के कारण अपनी कई रचना को पानुरी जी ने प्रकाशित करवा नही पाया। जो निम्न है:-
a) छोटो जी (व्यंग्य)
b) अजनास (नाटक)
c) अग्नि परीखा (उपन्यास)
d) मोतिक चूर
e) हमर गांव
f) समाधान ( खण्ड काव्य)
g) मोहभंग
h) भ्रमर गीत
g) पारिजात (काव्य)
h) अपराजिता (काव्य)
g) रक्ते रांगल पाखा ( कहानी-संग्रह)
पानुरी जी के उपनाम
a) खोरठा के भीष्मपितामह – यह उपनाम विश्वनाथ दसौंधी “राज” ने दिया।
b) खोरठा जगत का ध्रुवतारा
c) खोरठा के बाल्मीकि – यह उपनाम इन्हें रामदयाल पांडेय ने दिया था।
d) खोरठा का नागार्जुन – यह उपनाम इन्हें विकल शास्त्री ने दिया था।
d) खोरठा के टैगोर – यह उपनाम इन्हें चतुर्भुज साहू ने दिया था।
d) खोरठा के भारतेन्दु
e) अक्षय बोर
f) खोरठा शिष्ट साहित्य के जनक
श्रीनिवास पानुरी जी से संबंधित तथ्य
1) 25 दिसंबर (इनके जन्मदिवस) को खोरठा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
2) पानुरी जी के पाँच पुत्रो में अर्जुन पानुरी ने अपने पिता के विरासत को संभाला। अपने पिता के कई अप्रकाशित पुस्तको का इन्होंने प्रकाशन करवाया। अर्जुन पानुरी ने “सरग दूत” नामक खोरठा काव्य लिखा।
3) सवले बीस (कविता-संग्रह) यह पानुरी जी के बीस कविताओं का संग्रह है जिसे गिरधारी गोस्वामी ” आकाशखूँटी” ने संकलित किया।