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भूमंडलीकृत विश्व का बनना: NCERT Class 10 Notes, History Chapter 3

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भूमंडलीकृत विश्व का बनना (NCERT Class 10 Notes): भूमंडलीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने विश्व की अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया है। इसका प्रभाव केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। आज, चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश तेजी से विकास कर रहे हैं, जो भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

भूमंडलीकरण: यह एक आर्थिक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति, सामान और नौकरियों का एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरण होता है।

वैश्वीकरण: यह आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक प्रणालियों का एकीकरण है, जिसमें वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी का व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है।

TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectHistory
ChapterChapter 3
Chapter Nameभूमंडलीकृत विश्व का बनना
Categoryकक्षा 10 इतिहास नोट्स हिंदी में
Mediumहिंदी
भूमंडलीकृत विश्व का बनना: NCERT Class 10 Notes, History Chapter 3

वैश्वीकरण की अवधारणा

वैश्वीकरण एक आर्थिक प्रक्रिया है, जिसमें वस्तुएं, सेवाएं, पूंजी और श्रम एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित होते हैं। इसे समझने के लिए हमें व्यापार के इतिहास, प्रवासन, और मानव गतिविधियों के आर्थिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा। वैश्वीकरण केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

भूमंडलीकरण

भूमंडलीकरण का अर्थ है दुनिया भर की आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक प्रणालियों का एकीकरण। इसका तात्पर्य है कि वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार, पूंजी और श्रम का प्रवाह, और देशों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान सहजता से होता है।

प्राचीन काल की यात्रा

प्राचीन काल में यात्रियों, व्यापारियों और तीर्थयात्रियों ने बड़े मार्ग तय किए। वे अपने साथ सामान, कौशल, और विचार लेकर जाते थे। 3000 ईसा पूर्व से सिंधु घाटी की सभ्यताएं पश्चिम एशिया के साथ व्यापार करती थीं, जिससे वैश्विक व्यापार की नींव पड़ी।

रेशम मार्ग

रेशम मार्ग एक ऐतिहासिक व्यापार मार्ग है, जिसने चीन, भारत, फारस, अरब, ग्रीस और इटली को जोड़ा। यह मार्ग वस्तुओं और विचारों के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण स्रोत था। रेशम मार्ग ने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को एक-दूसरे से जोड़ने का कार्य किया।

भोजन की यात्रा

नूडल्स और आलू जैसे खाद्य पदार्थों ने भी वैश्वीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नूडल्स का इटालियन रूप स्पैघेत्ती बन गया, और आलू का आगमन यूरोप में कृषि और भोजन की परंपराओं को बदलने में मददगार साबित हुआ।

उन्नीसवीं सदी (1815-1914)

औद्योगीकरण का युग

उन्नीसवीं सदी में औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने विश्व को तेजी से बदल दिया। ब्रिटेन में कॉर्न लॉ जैसे कानूनों के कारण व्यापार में परिवर्तन आया। जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ भोजन की मांग बढ़ी, जिससे कृषि और उद्योग का विकास हुआ।

तकनीकी प्रगति

इस दौरान तकनीकी विकास, जैसे रेलवे, स्टीम शिप और टेलीग्राफ, ने विश्व व्यापार को सुगम बनाया। रेलवे ने विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने का कार्य किया, जबकि स्टीम शिप ने माल के परिवहन को सरल बना दिया।

उपनिवेशवाद का उदय

उन्नीसवीं सदी के अंत में उपनिवेशवाद ने एक नया मोड़ लिया। अफ्रीका के देशों को औपनिवेशिक शक्तियों ने आपस में बांट लिया। इस प्रक्रिया में रिंडरपेस्ट जैसी बीमारियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे अफ्रीका में मवेशियों की संख्या में भारी कमी आई।

भारत का औद्योगीकरण

भारत में औद्योगीकरण का स्वरूप भी अलग था। बंधुआ मजदूरों की व्यवस्था ने भारतीय श्रमिकों के लिए कठिनाइयां बढ़ा दीं। कई भारतीय मजदूर कैरेबियन द्वीपों और अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए भेजे गए। भारतीय व्यापारी भी विश्व बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगे।

प्रथम विश्व युद्ध और उसके प्रभाव

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। लाखों लोग मारे गए और आर्थिक उत्पादन में कमी आई। इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक पुरुष कार्यों में भाग लिया।

युद्ध के बाद की स्थिति

युद्ध के बाद, अमेरिका ने एक अंतरराष्ट्रीय कर्जदाता के रूप में उभरा, जबकि ब्रिटेन को अपनी शक्ति बनाए रखने में कठिनाई होने लगी। इस समय, जापान और भारत जैसे देशों में उद्योगों का विकास हुआ।

महामंदी का प्रभाव

1929 में महामंदी शुरू हुई, जिसने विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। उत्पादन, रोजगार, और आय में गिरावट आई। भारत में भी इसका प्रभाव पड़ा, जिससे किसान और काश्तकार आर्थिक संकट में पड़े।

युद्धोत्तर काल

नया अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आदेश

दूसरे विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका और सोवियत संघ के बीच राजनीतिक और आर्थिक संघर्ष शुरू हुआ। इस समय, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक संतुलन बनाए रखना था।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उदय

1950 और 1960 के दशकों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन कंपनियों ने विभिन्न देशों में उत्पादन और निवेश बढ़ाया, जिससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया और तेज हुई।

निष्कर्ष

भूमंडलीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने विश्व की अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया है। इसका प्रभाव केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। आज, चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश तेजी से विकास कर रहे हैं, जो भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

विशेषताएँ और संदर्भ

  1. वाणिज्यिक गतिविधियाँ: व्यापार, श्रम, और पूंजी का प्रवाह वैश्वीकरण का मूल आधार है।
  2. तकनीकी प्रगति: तकनीकी आविष्कारों ने वैश्वीकरण को संभव बनाया है।
  3. सामाजिक परिवर्तन: सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन ने विभिन्न देशों के बीच संबंधों को प्रभावित किया है।
  4. राजनीतिक संरचना: वैश्वीकरण ने राजनीतिक ढांचे में भी बदलाव किया है, जिससे देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा का माहौल बना है।

इस प्रकार, भूमंडलीकरण एक जटिल प्रक्रिया है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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