यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (NCERT Class 10 Notes): 19वीं सदी का यूरोप राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण दौर था। इस समय में राष्ट्रवाद की भावना ने पूरे महाद्वीप में नए विचारों और आंदोलनों को जन्म दिया। राष्ट्रवाद, जिसे एक विशेष सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान के रूप में देखा गया, ने देशों के निर्माण और एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लेख में हम राष्ट्रवाद के उदय, उसके कारणों, प्रमुख नेताओं और आंदोलनों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
Textbook | NCERT |
---|---|
Class | Class 10 |
Subject | History |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय |
Category | कक्षा 10 इतिहास नोट्स हिंदी में |
Medium | हिंदी |
राष्ट्र और राष्ट्रवाद की परिभाषा
राष्ट्र की अवधारणा
एक राष्ट्र को एक ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें समान भाषा, संस्कृति, धर्म और इतिहास साझा होते हैं। इसे अरनेस्ट रेनान के अनुसार एक “सामूहिक पहचान” के रूप में देखा जा सकता है। जब लोग एक साझा पहचान के साथ जुड़ते हैं, तो वे अपने राष्ट्र के प्रति एक विशेष प्रेम और निष्ठा का अनुभव करते हैं।
राष्ट्रवाद की परिभाषा
राष्ट्रवाद वह भावना है, जो किसी व्यक्ति को अपने राष्ट्र के प्रति गर्वित करती है। यह अपने देश की संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के प्रति वफादारी का संकेत देती है। यह भावना एक स्थायी समुदाय बनाने और उसे मजबूत करने की दिशा में प्रेरित करती है।
1830 के दशक के बाद यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास
सामाजिक और राजनीतिक
18वीं शताब्दी के अंत में, फ्रांसीसी क्रांति ने यूरोप में राजनैतिक अस्थिरता और बदलाव की लहरें पैदा कीं। यह क्रांति न केवल फ्रांस में, बल्कि अन्य देशों में भी लोगों में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचारों को फैलाने का कार्य करती है। इसके परिणामस्वरूप, विभिन्न देशों में राष्ट्रवादी आंदोलनों का उदय हुआ।
उदारवाद और निरंकुशता
उदारवाद का अर्थ था व्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता का अधिकार, जबकि निरंकुशता का तात्पर्य था ऐसे शासन से, जिसमें किसी प्रकार की स्वतंत्रता की अनुमति नहीं होती। यूरोप के विभिन्न हिस्सों में, जैसे कि जर्मनी, इटली और पोलैंड में, निरंकुश शासन के खिलाफ विद्रोह हुआ। शिक्षित मध्यवर्ग ने स्वतंत्रता और समानता के विचारों को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख विचारक और नेता
ग्यूसेप मैज़िनी
ग्यूसेप मैज़िनी, इटली का एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता, ने 19वीं सदी में राष्ट्रवाद के विचारों को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ‘यंग इटली’ नामक संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इटली के विभिन्न राज्यों का एकीकरण था। उनका विश्वास था कि केवल एकता के माध्यम से ही इटली की महानता को पुनर्स्थापित किया जा सकता है।
ऑटोमन बिस्मार्क
जर्मनी का एकीकरण करने वाले ऑटोमन बिस्मार्क ने राष्ट्रीय एकीकरण के लिए सैन्य और कूटनीतिक उपायों का उपयोग किया। उन्होंने प्रशा की ओर से तीन महत्वपूर्ण युद्धों का संचालन किया, जिससे जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ। 1871 में, जर्मनी का साम्राज्य स्थापित किया गया, और बिस्मार्क को इसका प्रथम चांसलर नियुक्त किया गया।
यूरोप के विभिन्न देशों में राष्ट्रवादी आंदोलन
पोलैंड में राष्ट्रवाद
पोलैंड में, 19वीं सदी के आरंभ में, राष्ट्रवाद का विकास हुआ। पोलिश लोग अपने देश के विभाजन और विदेशी शासन के खिलाफ एकजुट हुए। इस दौरान, कई विद्रोह और आंदोलन हुए, जिसमें “नवीनता” और “स्वतंत्रता” के लिए संघर्ष किया गया।
हंगरी में राष्ट्रवाद
हंगरी में, लुईकोश को एक प्रमुख नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने हंगरी के स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और 1848 में एक क्रांति का नेतृत्व किया। हालांकि, इस विद्रोह को दबा दिया गया, फिर भी हंगरी में राष्ट्रवादी भावना को जीवित रखा गया।
इटली और जर्मनी का एकीकरण
इटली और जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण घटना थी। इटली में, ज्यूसेपे गैरीबॉल्डी और काउंट कैमिलो दे कावूर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गैरीबॉल्डी ने सशस्त्र स्वयंसेवकों का नेतृत्व किया और इटली को एकीकृत करने में मदद की। दूसरी ओर, जर्मनी में, बिस्मार्क ने प्रशा के माध्यम से जर्मन राज्यों को एकजुट किया।
ग्रीस में स्वतंत्रता संग्राम
ग्रीस ने 1821 में अपने स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की। ग्रीक लोगों ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया और 1830 में स्वतंत्रता प्राप्त की। यह संग्राम यूरोप के अन्य राष्ट्रों में राष्ट्रवादी आंदोलनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
1815 के बाद की स्थिति
वियना कांग्रेस
1815 में, वियना कांग्रेस ने यूरोप के राजनीतिक संतुलन को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया। यह कांग्रेस नेपोलियन के बाद की स्थिति को स्थिर करने के लिए बुलाई गई थी। इसके अंतर्गत, रूस, प्रशा, ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन के नेताओं ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें फ्रांस को सीमित किया गया और राजतंत्र को पुनर्स्थापित किया गया।
जनमत संग्रह और सामाजिक परिवर्तन
1815 के बाद, जनमत संग्रह और चुनावों के माध्यम से लोगों की राय को मान्यता दी गई। यह प्रक्रिया न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक परिवर्तनों को भी बढ़ावा देती है। शिक्षित वर्ग ने समाज में एक नई पहचान और अधिकारों की मांग की।
राष्ट्रवाद का सांस्कृतिक पक्ष
साहित्य और कला का योगदान
19वीं सदी में, साहित्य और कला ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कवियों, लेखकों और कलाकारों ने अपने कामों के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया। उदाहरण के लिए, जर्मन चित्रकारों ने अपनी कला के माध्यम से जर्मनी की महानता को प्रदर्शित किया।
प्रतीकों और रूपकों का प्रयोग
राष्ट्रवाद के विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रतीकों और रूपकों का उपयोग किया गया। जैसे, फ्रांस में “मारियाना” का रूपक, जो राष्ट्र का प्रतीक बन गया। इसी तरह, जर्मनी में “जर्मेनिया” ने राष्ट्रीयता की भावना को प्रकट किया।
निष्कर्ष
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया थी, जिसने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक बदलावों को भी प्रेरित किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जिसने लोगों को एक साझा पहचान, संस्कृति और इतिहास के आधार पर एकजुट किया। आज, राष्ट्रवाद की भावना विभिन्न देशों में विविध रूपों में जीवित है, और यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह कैसे विकासशील और बदलते समय में भी प्रासंगिक बनी हुई है। यूरोप के राष्ट्रवादी आंदोलनों ने आज के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उनकी विरासत आज भी महसूस की जाती है।
महत्वपूर्ण तथ्यों का सारांश
- राष्ट्र और राष्ट्रवाद: साझा संस्कृति और पहचान।
- नेपोलियन का प्रभाव: प्रशासनिक सुधार और समानता के विचार।
- उदारवाद और निरंकुशता: राजनीतिक सोच का विकास।
- 1830 के दशक के क्रांतिकारी आंदोलन: स्वतंत्रता की खोज।
- प्रमुख राष्ट्रवादी विचारक: मेज़िनी, कावूर, गैरीबॉल्डी।
- जर्मनी और इटली का एकीकरण: प्रशा का नेतृत्व।
- ब्रिटेन में राष्ट्रवाद: आर्थिक और सामाजिक समेकन।
- बाल्कन समस्या: जातीय संघर्ष और स्वतंत्रता का संघर्ष।
- साम्राज्यवाद का प्रभाव: राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना।
यह अध्ययन न केवल यूरोप की राजनीतिक इतिहास को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस प्रकार राष्ट्रवाद ने विभिन्न समुदायों और जातियों की पहचान को नया आकार दिया।