Home / NCERT Class 10 Notes / Class 10 Economics Notes / विकास: NCERT Class 10 Notes, Economics Chapter 1

विकास: NCERT Class 10 Notes, Economics Chapter 1

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

विकास (NCERT Class 10 Notes): विकास एक व्यापक और बहुआयामी प्रक्रिया है, जो किसी देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना को प्रभावित करती है। यह न केवल आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह एक समाज के जीवन स्तर, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता से भी संबंधित है। इस अध्याय में हम विकास के विभिन्न पहलुओं, मानकों और उनके प्रभावों की विस्तृत चर्चा करेंगे।

TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectEconomics
ChapterChapter 1
Chapter Nameविकास
Categoryकक्षा 10 इतिहास नोट्स हिंदी में
Mediumहिंदी
Join our WhatsApp & Telegram channel to get instant updates Join WhatsApp
Join Telegram
Website Jharkhand Exam Prep
विकास: NCERT Class 10 Notes, Economics Chapter 1


अर्थव्यवस्था की परिभाषा

अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मानव समाज की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है। यह आर्थिक संसाधनों के उत्पादन, वितरण और उपभोग की प्रक्रिया को समझने में मदद करती है। अर्थव्यवस्था का अध्ययन हमें यह जानने में मदद करता है कि विभिन्न कारक कैसे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और कैसे आर्थिक नीतियाँ समाज पर प्रभाव डालती हैं।


विकास के लक्ष्य

विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, और कभी-कभी ये परस्पर विरोधी भी होते हैं। एक व्यक्ति या समूह के लिए विकास का लक्ष्य दूसरे के लिए नुकसान का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, एक नदी पर बाँध बनाने से वहाँ की बिजली की आवश्यकता पूरी हो सकती है, लेकिन यह उस क्षेत्र के किसानों को विस्थापित भी कर सकता है। इस प्रकार, विकास के लक्ष्यों की पहचान करते समय हमें समाज के सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखना चाहिए।


आय के अतिरिक्त अन्य महत्त्वपूर्ण कारक

आय केवल आर्थिक विकास का एक पहलू है। इसके अलावा, हमारे जीवन में कई अन्य महत्वपूर्ण कारक हैं जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं:

  • परिवार: एक मजबूत पारिवारिक संबंध न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह समाज में एकता और सामंजस्य को भी बढ़ावा देता है।
  • रोज़गार: स्थायी और सुरक्षित रोजगार का होना आवश्यक है। यह न केवल आय का स्रोत है, बल्कि यह व्यक्ति की पहचान और आत्म-सम्मान का भी प्रतीक है।
  • सुरक्षा: व्यक्तिगत और सामुदायिक सुरक्षा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता प्रदान करती है।
  • शांतिपूर्ण माहौल: एक शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक माहौल विकास में सहायता करता है।

इन सभी कारकों का जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, क्योंकि केवल आर्थिक संसाधनों से भौतिक वस्तुएं ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतोष भी मिलता है।


आर्थिक विकास की परिभाषा

आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अर्थव्यवस्था की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय दीर्घकालिक रूप से बढ़ती है। यह विकास का एक मापदंड है जो दिखाता है कि किसी देश में समय के साथ औसत जीवन स्तर में कितनी वृद्धि हुई है। आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है कि रोजगार के अवसर बढ़ें, औद्योगिक उत्पादन बढ़े और संसाधनों का कुशलता से उपयोग हो।


साक्षरता का महत्व

साक्षरता केवल पढ़ाई-लिखाई नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, कौशल और जागरूकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। साक्षरता के निम्नलिखित लाभ हैं:

  • ज्ञान और दक्षता: यह लोगों को नई तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम बनाती है, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरण: साक्षरता के कारण लोग स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक होते हैं, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होता है।
  • नई उद्योगों की स्थापना: साक्षरता का स्तर बढ़ने से नई उद्योगों की स्थापना और उनके संचालन में भी सहायता मिलती है।

साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार आवश्यक है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।


देश की आय

किसी देश की आय उस देश के सभी निवासियों की आय का योग होती है। इससे हमें उस देश की कुल आय का पता चलता है, जो विकास के स्तर को मापने में सहायक होती है। उच्च आय वाले देशों में आमतौर पर उच्च जीवन स्तर और बेहतर सुविधाएं होती हैं।


विकास के मानक

विकास को नापने के लिए विभिन्न मानकों का उपयोग किया जाता है, जैसे:

  • औसत आय: औसत आय देश के आर्थिक स्वास्थ्य का मापदंड है। यह दिखाता है कि एक व्यक्ति को औसतन कितनी आय प्राप्त होती है।
  • सार्वजनिक सुविधाएं: जैसे कि स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, और जीवन स्तर।
  • जनसंख्या से संबंधित आंकड़े: जैसे जन्म दर, मृत्यु दर, और जीवन प्रत्याशा। ये सभी आंकड़े विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।

औसत आय की गणना

औसत आय की गणना अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा डॉलर में की जाती है। इससे हमें देशों के विकास के स्तर की तुलना करने में सहायता मिलती है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि किसी देश की आर्थिक स्थिति कितनी मजबूत है और वहाँ के नागरिकों का जीवन स्तर कैसा है।


विकसित और विकासशील देशों की विशेषताएँ

विकसित देश

  • नई तकनीक: विकसित देशों में उच्च तकनीक और विकसित उद्योग होते हैं।
  • उच्च जीवन स्तर: वहाँ का जीवन स्तर आमतौर पर उच्च होता है।
  • उच्च प्रति व्यक्ति आय: इन देशों में प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक होती है, जिससे नागरिकों को बेहतर जीवन की सुविधा मिलती है।
  • उच्च साक्षरता दर: विकसित देशों में साक्षरता दर भी अधिक होती है, जिससे वहाँ के नागरिक शिक्षित और जागरूक होते हैं।
  • बेहतर स्वास्थ्य स्थिति: जन्मदर और मृत्यु दर पर नियंत्रण होता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होती है।

विकासशील देश

  • औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए: ये देश औद्योगिक विकास में पीछे हैं।
  • निम्न प्रति व्यक्ति आय: विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति आय आमतौर पर कम होती है।
  • सामान्य रहन-सहन: इन देशों में सामान्य रहन-सहन की स्थिति होती है।
  • बेहतर स्वास्थ्य का अभाव: यहाँ की स्वास्थ्य सेवाएँ आमतौर पर कमजोर होती हैं और मृत्यु दर अधिक होती है।

आर्थिक नियोजन

आर्थिक नियोजन से अभिप्राय है कि देश के साधनों का लाभ उठाकर विकास को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाना। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि संसाधनों का उपयोग प्रभावी ढंग से किया जाए और आर्थिक नीतियाँ समाज के विभिन्न वर्गों के हित में हों।


राष्ट्रीय आय

राष्ट्रीय आय उस राशि का योग है जो देश के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त आय का योग है। यह विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक है और यह दिखाता है कि एक देश की आर्थिक स्थिति कितनी मजबूत है।


प्रति व्यक्ति आय

जब देश की कुल आय को उसकी जनसंख्या से भाग दिया जाता है, तो जो राशि मिलती है उसे प्रति व्यक्ति आय कहा जाता है। यह मापदंड यह बताता है कि एक व्यक्ति को औसतन कितनी आय प्राप्त होती है। भारत की प्रति व्यक्ति आय 2019 में केवल 6700 अमेरिकी डॉलर थी, जो इसे मध्य आय वर्ग के देशों में रखती है।


शिशु मृत्यु दर

शिशु मृत्यु दर उस अनुपात को दर्शाती है जिसमें किसी वर्ष में पैदा हुए 1,000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले कितने बच्चे मर जाते हैं। यह स्वास्थ्य सेवाओं और जीवन स्तर का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। उच्च शिशु मृत्यु दर आमतौर पर निम्न स्वास्थ्य सेवाओं और खराब पोषण का संकेत है।


साक्षरता दर

साक्षरता दर 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात है। यह विकास और शिक्षा के स्तर को दर्शाता है। उच्च साक्षरता दर का मतलब है कि समाज में शिक्षा का स्तर अच्छा है और लोग अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हैं।


निवल उपस्थिति अनुपात

निवल उपस्थिति अनुपात 14 से 15 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत है। यह शिक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता का मापदंड है और यह दिखाता है कि कितने बच्चे स्कूल में उपस्थित हैं और शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।


बी. एम. आई. (शरीर का द्रव्यमान सूचकांक)

बी. एम. आई. का उपयोग पोषण की स्थिति को जानने के लिए किया जाता है। यह व्यक्ति के वजन और ऊँचाई के अनुपात पर आधारित होता है। यदि बी. एम. आई. 18.5 से कम है तो व्यक्ति कुपोषित माना जाता है, जबकि 25 से ऊपर होने पर मोटापे का संकेत मिलता है।


मानव विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक मापदंड है जो आय और अन्य कारकों की समाकेतिक सूची है, जिसके आधार पर किसी देश को उसकी गुणवत्ता के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। यह विभिन्न देशों में विकास के स्तर का मूल्यांकन करने का एक तरीका है, जिसमें लोगों के शैक्षिक स्तर, स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय को ध्यान में रखा जाता है।

भारत का मानव विकास सूचकांक में 136वाँ स्थान है, जो इसकी विकास स्थिति को दर्शाता है। यह संकेत देता है कि भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में

सुधार की आवश्यकता है।


विकास की धारणीयता

विकास की धारणीयता का अर्थ है कि विकास को इस तरह से किया जाए कि पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे और वर्तमान पीढ़ियों की जरूरतों के साथ-साथ भावी पीढ़ियों की जरूरतों का भी ध्यान रखा जाए।

विकास की धारणीयता की विशेषताएँ

  • संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग: यह सुनिश्चित करना कि संसाधनों का उपयोग इस तरह से किया जाए कि उनकी उपलब्धता बनी रहे।
  • नवीकरणीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग: जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि।
  • वैकल्पिक संसाधनों की खोज: यह प्राकृतिक संसाधनों के अति-उपयोग से बचने में मदद करता है।
  • संसाधनों के पुनः उपयोग को बढ़ावा: यह अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को मजबूत करता है।

नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय साधन

  • नवीकरणीय साधन: जैसे भूमिगत जल, जो प्राकृतिक रूप से पुनः प्राप्त होते हैं। यदि इनका उपयोग संतुलित किया जाए तो ये स्थायी रूप से उपलब्ध रह सकते हैं। उदाहरण के लिए, बारिश के पानी का संचयन और उसका उपयोग।
  • गैर-नवीकरणीय साधन: ये ऐसे संसाधन हैं जो कुछ वर्षों के प्रयोग के बाद समाप्त हो जाते हैं, जैसे कोयला, तेल आदि। इनका कोई पुनः पूर्ति नहीं होती, और इनका अति-उपयोग आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरा बन सकता है।

निष्कर्ष

विकास केवल आर्थिक वृद्धि का विषय नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय उन्नति का भी प्रतीक है। विकास का वास्तविक अर्थ समझना और उसे प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि हम एक समृद्ध और स्थायी समाज का निर्माण कर सकें। इसके लिए आवश्यक है कि हम सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नीतियाँ बनाएं और कार्य करें। इस प्रकार, विकास के सभी आयामों का समावेश करना आवश्यक है, ताकि हम एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।

Leave a comment