हमनी सब एक कविता (लेखक – स्व श्रीनिवास पानुरी) – एक पथिया डोंगल महुवा खोरठा कविता
एक एक एक
हमनी सब एक ।
भिनु – भिनु बोली भाख (भाषा ),
ताव हमनी एक
भिनु भिनु भेख(वेश भूषा )
एके रकम घर, दुवार
एके रकम गांव
एके रकम शादी बीहा
एके रकम भाव
एके रकम पूजा पाठ
तीरिथ जातरा एक
अर्थ : यह कविता एक पथिया डोंगल महुआ पुस्तक का पहला कविता है, जिसके लेखक श्री निवास पानुरी जी है। इस कविता के माध्यम से श्री निवास पानुरी कहते हैं – कि भले ही हमारे देश में लोगों का भाषा अलग अलग है, उनकी वेशभूषा अलग अलग है, लेकिन फिर भी हम सभी एक हैं। हम सभी का एक जैसा घर द्वार, एक जैसा गांव , एक जैसा शादी विवाह का रीति रिवाज, एक जैसा भाव, एक जैसा पूजा-पाठ और एक जैसा तीर्थ यात्रा है। इसलिए हम सभी भाषा, वेशभूषा, रंग रूप में अलग होते हुए भी एक जैसा ही है।
एक एक एक
जे इंटे मन्दिर मस्जिद
ओहे ईटे चर्च
झे अरथे पुरान
पुराने ओहे अर्थ
जैसन उपदेश मोला पादरी
वैसन पंडित देत
अर्थ : जिस इट से मंदिर मस्जिद बना, उसी ईट से चर्च भी बना है। कुरान में जो ज्ञान का उपदेश है, वैसा ही समान उपदेश हमारे पुराणों में भी है। जैसा उपदेश मौलवी और पादरी देते हैं वैसा ही पंडित भी देते हैं।
एक एक एक
हमनी संगे ओहे वात
दूर जतना जइर से पात
रकत (खून ) दुयोक एक
अर्थ : हम सभी एक हैं, हम सभी का रिश्ता वैसा ही है। जैसा पौधों में जड़ का पत्ता से होता है। दोनों का खून एक समान।
एक एक एक
साधनक धरती हमनी पुरवो
सुन्दरेक सुन्दर फूल
वन्धुतेक नदी हमनी वांधी
आपन असथि कूल
निसंठाक धरती हमनी करी
शान्तिक अभिलेख
अर्थ : हम सभी एक समान हैं। धरती के साधनों को हम सभी समाप्त कर रहे हैं- सुंदर सुंदर फूलों को भी। वसुंधरा (पृथ्वी ) के नदियों को हम बांध रहे हैं। अपने अस्थि खुद सजा रहे हैं। लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ हम चाहे तो पृथ्वी में शांति स्थापित कर सकते हैं।
एक एक एक
एकेक पानी मेटवी पियास
साइतेक माटी बास
दुखेक खेते हमनी करी
मीठा आनन्देक चास
हमनी देखी एके अनेक
अनेकें देखी एक
अर्थ : हम सभी एक समान हैं। एक ही पानी हम सभी का प्यास मिटाता है। इसी माटी में हम सभी निवास करते हैं। इसी मिट्टी पर हम सभी मेहनत करके खुशी खुशी खेती कर आनद के साथ रहते हैं। हम सभी दीखते अलग-अलग हैं, लेकिन है एक जैसा ही।
एक एक एक
हमनी मांझे कुछ वान्दर
चीरे खातिर मायेक आँचर
उगलत जहर लागवथ आइग
रचत नरमेध
एक एक एक
हमनी सब एक
नरमेध – प्राचीन काल में प्रचलित एक प्रकार का यज्ञ जिसमें मनुष्य की आहुति दी जाती है।
अर्थ : हम सभी एक समान हैं। लेकिन हम लोग के बीच में ही कुछ बदमाश लोग हैं जो अपना मां के आंचल को भी चीरने में लगे हुए हैं। अपनी जुबान से हमेशा जहर उगलते हैं और लोगों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काने का काम भी करते हैं। एक दूसरे के खिलाफ षड्यंत्र करते हैं, ताकि दूसरे को हमेशा नुकसान हो।
- निष्कर्ष : देश में भाषा वेशभूषा में विविधता होते हुए भी समानता है।