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देसेक जुवान (लेखक – श्री विनोद कुमार) – एक पथिया डोंगल महुवा खोरठा कविता | JSSC CGL Khortha Notes

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देसेक जुवान (लेखक – श्री विनोद कुमार)

देसेक जुवान लेखक - श्री विनोद कुमार पुस्तक - एक पथिया डोंगल महुआ Khortha Notes BY Jharkhand Exam Prep
देसेक जुवान लेखक – श्री विनोद कुमार

एक पथिया डोंगल महुवा खोरठा कविता

 भावार्थ :

कवि इस कविता के माध्यम से देश के सुरक्षा में लगातार तैनात रहने वाले फौजी एवं जवान भाइयों के बलिदान एवं साहस का बखान कर रहे हैं।  साथ ही देश के अंदर व्याप्त असमानता मतभेद या किसी अन्य प्रकार के भेदभावओं का जिक्र करते हुए आपसी एकता का अपील कर रहे है।  साथ ही सभी को सतर्क भी कर रहे हैं कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो माता स्वरूप हमारी मातृभूमि नहीं बचेगी, फिर रोने और आंसू बहाने के सिवाय हमारे पास दूसरा कोई उपाय  नहीं बचेगा।

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देश के जवान, देश की शान है।  उनकी देश को सुरक्षित करने का शपथ या प्रण देश की मान है।  देश की खातिर ,देश की माटी के खातिर, वे प्राणो का बलिदान व लहू का दान देकर भी रक्षा  करते हो।  

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पूरे जगत का ध्यान  देश के जवानों के तरफ है।  देश के अंदर हाल बेहाल है।  मातृ  देवी का हाल भी बेहाल है। यहां के बच्चे व लोग आंतरिक समस्याओं से परेशान हो चुके हैं और रो रहे हैं। 

माटी के सभी वीर सपूत एक हो जाओ।  विकास के लिए दो सभी कोई  योगदान।  आंतरिक कूटनीति के कारण देश में फूट पड़ रहा है, और देश का टुकड़ा टुकड़ा हो चुका है।  इस सोच से विकास नहीं हो सकता है, दाना पानी नहीं चल सकता है।  अगर यही हाल रहा तो एक  दिन दुश्मन हमारी माटी को लूट लेगा, हमारे देश पर कब्ज़ा कर  लेगा। देश के चारों ओर से एकत्रित होकर एकजुट हो जाओ, तभी देश (भारत माता ) बचेगी  नहीं तो सिर्फ रोने और चिल्लाने  के अलावा कुछ नहीं बचेगा।  

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तोय जुवान दसेक सान 

तोय सफत देसेक मान । 

देसेक लेल माटी खातिर 

करेंइ तोय लहुक दान ।

सभेक नजइर तोर दन 

भाभ जुगुत ई खन  

माय माटी वेहाल हथ 

छउवा हियां कांदs हथ

माटिक सपुत एके भाई 

विकासेक लेल देहक साई। 

कुटि चाइलें फुट परले 

 माटिक टोना टकरा करलें ।

ई चाइलें भात नखो 

दुसमने माटी लुइट लेतो ।

चाइरो वाट ले जुट हवा, 

देसेक खातिर एक गुट हवा । 

बांचतो तबे माटी माञ 

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नाञ तो करबें खाञ – खाञ ।

तोञ जुवान देसेक सान 

तोञ सपुत देसेक देसेक सान। 

देसेक लेल माटी खातिर

करे तोञ लोहुक दान 

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