लोक साहित्य वह मौखिक अभिव्यक्ति है, जो भले ही किसी व्यक्ति ने गढ़ी पर आज जिसे सामान्य लोक समूह अपना मानता है और जिसमें लोक की युग-युगीन वाणी, साधना समाहित रहती है, जिसमें लोक मानस प्रतिविम्बित रहता है। वास्तव में लोक साहित्य लोक जीवन की अभिव्यक्ति है। लोक साहित्य लोक जीवन से घनिष्ठ संबंध रखता है। विद्वानों के लोक साहित्य को अंग्रेजी के ‘फोक लिटरेचर’ का शाब्दिक अनंवाद माना है।
लोक साहित्य का विश्लेषण हम निम्नलिखित रूप में कर सकते हैं
लोक साहित्य का विशेषता :-
1. लोक साहित्य ग्रामीण साहित्य है।
2. उस लोक का साहित्य है, जो सभ्यता की सीमाओं से बाहर है, अर्थात् सभ्य समाज में जिनकी गिनती नहीं है, उनका साहित्य।
3. लोक साहित्य वह साहित्य है, जो लोक मनोरंजन के लिए लिखा गया है, उस लोक के लिए, जो विशेष पढ़ा-लिखा नहीं है।
4. लोक साहित्य वह प्राचीन साहित्य है, जो मौखिक परम्परा से प्राप्त होता है, जिसके रचयिता का पता नहीं है, जिसे समस्त लोक अपनी कृति मानता है।
5. लोक साहित्य लोक मानस की सहज और स्वाभाविक अभिव्यक्ति है।
6. यह अलिखित तथा मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चलती रहती है।
7. लोक साहित्य का रचनाकार अज्ञात रहता है।
8. लोक साहित्य लोक संस्कृति का वास्तविक प्रतिविम्ब है।
9. यह कृति न होकर श्रुति है।
10. यह भाषा विज्ञान और व्याकरणीय नियमों से मुक्त रहता है।
11. यह मनोमोदनी और मनस्तोषिनी अभिव्यक्ति है।
12. यह लोक विश्वास, परम्पराओं, प्रथाओं, पर्व-त्योहारों तथा रीति-रिवाज से सम्बन्धित है।
13. लोक साहित्य प्रायः प्रकृति तथा समाज को प्रतिविम्बित करता है।
लोक साहित्य का विशेषता और महत्व
(importance of folk literature) :-
लोक साहित्य का महत्व (importance of folk literature) निम्न लिखित है-
1पुरातत्व:-
पुरातत्व शास्त्री अपने वैज्ञानिक ढंग से मानव जीवन का आदिम काल के विषय में खोज करता है। मानव जीवन किस युग में किस प्रकार था, उसके रीति-रिवाज, रहन-सहन, भोजन सामग्री, विश्वास परम्पराएँ, कला और संगीत का अनुसंधान लोक कथाओं, गथाओं तथा लोक गीतों में करता है। लोक साहित्य में ऐसे अनेक विलुप्त कड़ियाँ छिपी रहती हैं, जो पुरा अन्वेषकों के लिए प्रेरक सिद्ध होती है।
2. इतिहास:-
एक इतिहासकार के लिए भी लोक साहित्य उतना ही महत्व रखता है। इनके लोक गीतों तथा लोक कथाआंे में राजा, महाराजाओं, वीर कन्याओं, योद्धाओं का वर्णन मिलता है। इस प्रकार एक इतिहास लेखक के लिए तत्कालीन जीवन का लोक साहित्य के संकेत, मार्ग, निर्देशन, प्रतीकादि अनिवार्य रूप से निस्संदेह मिलता है।
3. भाषा विज्ञान:-
लोक एवं लोकगीत लोक साहित्य का अभिन्न अंग है। भाषा विज्ञान की सामग्री तथा शब्द, पद, ध्वनि, शब्द के विकार, उत्कर्ष, अपकर्य आदि का अध्ययन लोकगीतों, लोककथाओं एवं लोकोक्तियों में प्रचुर मात्रा में मिलता है, जो भाषा के विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
4. मनोविज्ञान:-
मानव की आशा, आकाक्षाएँ, मनःस्थिति तथा अन्य मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन हमें लोक साहित्य से ही प्राप्त होता है। लोक साहित्य में अभिव्यक्त लोक रूचि एवं विश्वास पर सामग्री हमें लोक साहित्य से ही मिलती है।
5. भूगोल:-
किसी क्षेत्र की नदियों, नगरों, प्रदेशों, व्यावसायिक केन्द्रों आदि का वर्णन हमें लोक साहित्य से मिलता है। लोक कथाओं, लोक भाषाओं एवं लोकगीतों में वनों, पर्वतों तथा छुपे हुए वनैले मार्गों, वन्य गुफाओं का पता समाहित रहता है। इस प्रकार एक भू शोधकत्र्ता के लिए लोक साहित्य में अपेक्षित सामग्री उपलब्ध रहती है।
6. अर्थशास्त्र:-
प्राचीनकाल के अर्थव्यवस्था को जानने के लिए लोक साहित्य यथेष्ठ मार्ग निदर्शन करता है। प्राचीन काल में प्रचलित सिक्कों, मुहरों का वर्णन, विनिमय के सामग्रियों, जीवन-यापन हेतु अनिवार्य तत्वों आदि का वर्णन लोक कथाओं, लोकगीतों में सन्निहित है। इसके अलावे अनाजों, व्यापार केन्द्रों, व्यापारिक भागों का भी संकेत लोक से प्राप्त होता है।
7. शिष्ट साहित्य के निर्माण में सहायक:-
लोककथा संसार के सामान कथा साहित्य का जनक है और लोकगीत सकल काव्य की जननी है। मेरा तो यह भी मत है कि जिस समाज या समुदाय का लोक साहित्य जितना समृद्ध होगा उतना शिष्ट साहित्य सृजन की संभावना की प्रबलता मौजूद होगी। चूँकि भारतीय समुदाय का लोक साहित्य काफी समृद्ध है। यही कारण है आज राष्ट्रभाषा हिन्दी विश्व के मंच पर भी अपना स्थान ग्रहण कर चुकी है। इसलिए संसार का वर्तमान शिष्ट साहित्य के निर्माण में लोक साहित्य की महता को नकारा नहीं जा सकता है।
8. शिक्षा:-
इसके अलावे जनसाधारण के लिए लोक साहित्य शिक्षाप्रद भी है। लोककथाओं और लोकोक्तियों के माध्यम से हमें अनेक ज्ञान मिलते हैं। गाँव घर का कोई भी व्यक्ति जब सामाजिक नियमों की अवहेलना करता है, तो बुजुर्ग लोग उसे लोककथा सुना कर अच्छे रास्ते में चलने की सलाह देते हैं।
9. मनोरंजन:-
लोक साहित्य मनोरंजन का एक साधन भी माना जाता है। लोकगीत हमारी जिन्दगी का नवीकरण करते हैं। पर्व-त्योहारों में लोकगीत एवं लोक संगीत की मधुर ध्वनि मानव के व्यस्त जीवन से त्राण दिलाती है। ये तनाव दुर करने में सहायक होते हैं। इस तरह लोक साहित्य न सिर्फ मानव रंजन करते हैं, अपितु मनोरंजन भी करते हैं।
इस प्रकार हम देखते है की लोक साहित्य सामाज के विभिन्न पहलुओ को समेटे हुवे है।